________________
SONFM
%
E
महामेरू शिखरे कृतम्नानमानं, परदेव देवैः स्तुमध्यान मानं ॥ ४ ॥ समानंद रूपं सदानंत वीर्य, सहानंत साक्ष्यं सदानंत धैर्य ।
सदा सिद्धि याहं सदाकर्म दाई; सदा मोह भानु सदा कामराह ॥ ५ ॥ पत्ता-जय सुविधि स्वामिन शिवाद्गामिन् हरिहर चर्षित पदकसल जपकीर्ति सु जयकर, कलिमल चयहर, क्षीर नीरसम कीर्तिधर । महा !!
॥ श्री शीतल नाथ पूजा ॥१०॥ अभर सिन्धु समद्भव सज्जलैः. सुघनसार पराग घिमिश्रितः ।
परम पंचम बोध निधानक, दशम तीर्धकरं परिपूजये ॥ जलम् ॥ १ ॥ मलय भूधर संभव चन्दनः, सरस केशर चन्द्र सुगन्धितैः : परम ॥ चन्दनम् ॥ २॥ शशिकरामृतफेनसमानकैः, सुरभिशालि समुद्भर तण्डुलैः ॥ परम. ॥ अक्षतम् ॥ ३ ॥ परिमलाहृत षट् पद पंक्तिभिः यकुल चम्पक मोगर पुष्पक । परम. ।। पुष्पम् ॥ ४॥ प्रबल गयस गव्य सितान्वितैः, सुरभिभाजन मध्यसमाश्रितः ॥ परम ॥ नैवेधम् ।। ५ ॥ सघनसार समुज्यलदीपकैः, परिनिरस्कृत दिग्गज तामसै ।। परमः ।। दीपन ।। ६ ॥ अनल साहुत धूपसु पावकः, गगनमार्गगतैरलिझतैः ॥ परम ॥ धूपम् ॥ ७ ॥ फलसु चोच रसाल पुनिम्बु, प्रमुख दाडिम पक्ष फलैवरैः ।। परम, ॥ फलम् ।। ८ ।