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二
|| जयमाला ||
चन्द्रप्रभ जिन जय स्वमंशृतिमय जन्म जरादि पिचवरं । बन्दे शशिदेवं विगतसंदेहं सर्व जीव करुणा निकम् ॥ १ ।। जय चन्द्र चंद्रांशु व जय चन्द्रपुरी सुरवित्र करुण I
जय बज्र वृषभ माराच काय, जय दौर रूधिर वर्जित कषाय ॥ २ ॥ आदिम संस्थान निःस्वेद खैर, मल वर्जित तर्जित पुरुष बेद ।
जय जय रूप शुभ सतयांग, अमित वीर्य प्रिय वचन ॥ ३ ॥ अतिशय दस राजित सदी गाय, जय घाति कर्म दिनु विनय पात्र जय देव निर्जिता तिशपशेष वसुविधा भूषित सुदेश ॥ ४ ॥ सदनन्तचतुष्टय धरणवीर, जय सहख नाम सागर गंभीर
जय समंतभद्र सुख करणरूप, वारासि प्रणमित सकल नृप । ५ ।।
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घसा - अष्टम तीर्थकर, पार तिमिर हर, चन्द्रप्रभ शशि कांतिधरं जय रक्त भूरा, भुवन त्रिदुषण, जयकीयें जय लचकरं । महार्थं ॥ ॥ श्री पुष्पदन्तनाथ पूजा ॥ ६ ॥
दुग्धाम्बुधि प्रमुख तीर्थं समुद्वैश्च तोयैः सुशीतल यः परिवः
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गीर्वाण सार नरनाथ मुनीन्द्र सेव्यं, श्री पुत्रपदंत जिननाथ महं यजामि । जलम् ॥ १ ॥
॥१७८॥
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