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शार्दूल विक्रिड़ितछर-विद्यासागर पार दर्शन परः काष्ठान्यो द्योतका,
स्वालानंद पयोधिमध्य विलसत्कन्लोलकेली करः । भास्वदिव्य पयोज कांति फलितः पयग्रमा समः ।
जीयाद्रनमुनीश दीक्षित त्रयो कीर्तिस्तुमः संततम् ॥ महा ।।
॥ श्री सुपार्श्वनाथ पूजा ॥ श्री तीरसागर सुरम्य तरण जातः भृगार सारमुख निजिव चारूतोय: ।
देवेन्द्र चन्द्र नुत पाद पयोजयुग्म, तीर्थकरें जिनसुपार्श्व मध्यजामि || जलंम् ॥ सदगंधद्रव्यपरिपूरिन चन्दनौयः, सन्कु कुमाभघनसार विमिश्रितागः ॥ देवेन्द्र, ॥ चन्दनम् ।। क्षीरोद बारिज समज्वल फेन कपैरिन्दु प्रभा निर निर्मल तंदुलो पैः ॥ देवेन्द्र " अक्षतम् ।। मंदार चम्पक पपोज कदम्म जातः पृन्दारक प्रथित वृक्ष विशेष पुष्पै ॥ देवेन्द्र . ॥ पुष्पम् । श्राज्य प्रपत्र घन चारूतरोद्यमोज्यैः, मदधैवादिभिरनीक विधानबुक्तैः ॥ देवेन्द्र • ॥ नैवेद्यम् ।। दीः सुहंसततिदीप्यभिधाम तुल्यैः अष्टापद प्रभृतिनिर्मितभाजनस्थैः, । देवेन्द्र० ॥ दीपम् । श्रीमगिरीन्द्र मलयोनचारुधूयः, गंधोरूमिहयभि समाहत पंट् पदोथै ॥ देवेन्द्र ॥ धूपम् । दाना फल प्रभुखदादिम मातुलिगः, कनाम्रपूग कदली फज नारिकेतः ।। देवेन्दः । फलम् ॥ - मार्ग धपुष्प शुभ तन्दुल मोज्यदीपैः, धूर्फजावलिभिरेव जयाधकीतिः ॥ देवेन्द्र अर्घ ।।
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