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॥ श्री पद्म प्रम पूजा ॥ विलिम्प पति वाहिनी, प्रभृतितीर्थ म्यादको
सुरेन्द्र वचनोपमैः सुधनसार संवासितैः अमेयमहिमाकरं विकच पद्म भासा निधि
___महामिसुर सेवितं जिनवरेन्द्र पनप्रभं । जलम् । ११ प्रभूत मलयोद्भवै. सरस केशलि श्रितः
मिलिन्द निकरोद्भवत्सास राज्य कारकैः ॥ अमेय० । चन्दनं । २ ॥ तुपार हेम चुकास सिधरी श्रुकोजले ,
सुगंधश्न शानिज सुहिमुवित बीजाङ्कः ॥ अमेय || अद तम् ॥ ३ ॥ कदम्ब सुख मल्लिका बल कुद नीलोत्पलैः,
मेरू कुसुमोक”विकच सिन्धु वाराम्बुजैः । अमेय० ॥ पुष्पम् ॥ १ ॥ विराज्य परिचितै,घटक सूप शाल्योदनैः
क्षधामनिवार विमल हेम पात्रस्थिते. ॥ अमेय० ॥ नैवेद्य ॥ ॥ ५ ॥ दिगंत तिमिरापहै मिहिर कोटि राशी प्रभैः
प्रबोधनिकरैरिय स्फुरित दीप पनैः रन । अमेय० ॥ दीपम् ॥ ६ ॥ मिलिन्द मुख कारऔरगुरू संगधूपोद्भवै ।
रदभ्रगुरुधूपकै निचित सर्व काष्ठाम्बरैः ॥ अमेय० ॥ धृपम् ॥ ७ ॥