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जल यात्रा विधि
नोट:-जल यात्रा विधि की आवश्यक सामग्री कलश, श्रीफल, प्रारदादन, छन्ना,
अंग पोद्धरणा, अष्ट द्रव्य, पान, माला, रोकड़े (रूपा नाणा । दूध, शक्कर (मिश्री) दीपक, दपण, अजा पाटला, सूत, (लका) कुकुम आदि पहले से तैयार कर साथ में ले लेना चाहिये ।
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सर्व प्रथम शुभ मुहूर्त में प्रात काल मन्दिरजी या मण्डप से यन्त्रजी लेकर गाजे बाजे संगीत आदि बड़े समारोहपूर्वक सहधी श्रावक श्राविकाओं के साथ तालाव या वापिका पर जाना चाहिये फिर दोहरे बन्ने को उसके चारों कोने पकड़ कर जल में डूबता हुआ मुले की सरह पकड़ रक्खें उस छन्ने में यन्त्रजी विराजमान करके वरुण देवता का आहवाहन करके मध्य कर्णिका पूजा (वरुण देवता की प्रष्ट द्रव्य से करें। जिसमें १ श्रीफल भी चढ़ा।
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