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कलय कलय वृत्त पश्य पश्य स्वरूपं । कुरु कुरू पुरुषार्थ निवृतानन्द हेतोः ॥ ७ ॥
इत्याशीर्वादः । ॐ जयमाला * पत्ता-यणत्तय सारउ, भव्य पियारउ, सयलह जीवह दुरियहरो ।
मणियण गण महियउ, गुण गण सहियउ, मिच्छमोह मपणास करो ।। १ ।। पणवीस दोस वजिउ पवितु, अइयार रहिउ वसुगुण विजुत्त ।
___ अढगई णिम्मल विष्फरंति , जो तिरहं देवत्तण विलिंवि ॥ २॥ णारइयवि तिस्थयरा इदंति देव वि ए इन्दिय पर लहति ।
__जे मिच्छनिय सम्मत्त हीण, दालिद्दय सिय ते धणीण . ३ ॥ मइ सुय अवही एणपज्जयाण, केवलु वि कहिज्जइ मधयाण ।
___ अण्णाणे तिएणइ भण: जोइ, कुच्छिप मिच्छत्त जई होह । ४ ॥ वोभुव हिम्मल पवणुवि असंग, परि अजिउ विकण पर मुक्ति संग ।
लोया लोहाविजयउ रि. योइ बहु भयह जउ चारित्त होइ । ५ ॥ पंचाइ महन्वय सभिदि पंच, गुण्णाउ तिणि पय जिय अवन ।
पुण पचायार तिभेय जुन, मुखि धम्म कहहि देविषद युत्त ॥ ६ ॥ पत्ता-जिहिं तिपरिण लिएर चिरू, गहणमुणे मुइ, अधउ आलस उपगुलपि । ___ जिणवर भारियः तिषण तरह विणु, मुत्तिण भएणड गण पह वि : महाई. ।'
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