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कार्य म्वस्त रहते हैं कि खाना पीना और सोना तक छोड़ देते हैं यही कारण है कि समाज पापको हजारो रुपये भेंट करता है। परन्तु मापने अपने पास मात्र १००१) रु. से मधक न रखने को प्रतिज्ञा करली है तदनुसार भेंट को रकम संस्थाओं में देते रहते हैं। सारे भारत वर्ष की दिगम्बर जैन समाज में भापकी ख्याति है धारने अपना सारा जीवन संस्थानों की सेवामें लगादिया है।
प्रतापगढ़ में आपके द्वारा संचालित मीभ राशकति दि जैन बोटिंग प्रतापगढ़ दिगम्बर जैन समाज की आद्वितीय विशाल शिक्षण संस्था है। जिस के अन्तर्गत भ० यशकीति माध्यमिक विद्यालय (राजस्थान सरकार द्वारा प्रमाणित ) श्री रमण बहिन 'द. है। कन्याशाला श्रादि संस्थाएं चल रही हैं। छात्रालय में श्री सीमन्धर भगवान का भव्य जिनालय बनवाया है जिसकी प्रतिष्टा बड़े समारोह पूर्वक की गई थी। इस प्रतिष्ठा के पूर्व प्रतिमाजी लाने के दिन से हो बापने समता पनिठा नहीं होड़ी दर तकदीर चावल खाने का त्याग का दिया था। प्रतिष्ठा होने के बाद प्रतापगढ़ की समाज ने मन दुध की स्वीर बनाकर आपकी प्रतिज्ञापूर्ति का समारोह किका था नया मन्दिर जीमें श्रामसभा कर आपको मान पत्र समर्पित किया गया था। प्रसिद्ध तीर्थ भूमि केशरियाजो (समय) मे भ. यशको भवन का निर्माण आपकी देख रेख में ही किया गया था एवं बहैं। पर श्री ऋषम दि. जैन मण्डल श्री जीवदया संघ श्री ऋपनदेव दि जैन तीर्थ रक्षा कमेटी श्रादि संस्थाएं श्राही के द्वारा स्थापित की गई है। ऋषमदेव की समाज ने बापका संवानों के उपलक्ष्य में कृतज्ञता स्वरूप आपको । जैनरत्न की उपाधी प्रदान कर बहुत बड़ा रजत शिल्ड समपित किया था। बापका ही सास था कि ऋषम देव में प्रभा- दिगम्बर जैन नरसिह पुरासमा I का एतिहासिक महा सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न इया था और अ. भा. दि. जैन नरसिंहपुरा महासभर को स्थापना हुई थी।
पण्डितजी के अनन्य स्नेही श्रीमान जौहरी मोतीलालजी मीयदा उदयपुर की समाज के प्रमुख व्यक्ति हैं अापने उदयपुरमें बड़े समारोह पूर्वक सिद्धचक्र विधान कराया था, उस अवसर पर उदयपुर को दिन समाज ने आपको "धर्मरत्न की उपधि धान की थ। साथ ही रहिट रामचन्द्रजी महालय को भी अभिनन
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