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________________ और पढ़ रिता क' यो योगा तो FT रहेगा नहीं तो गरी में दूसरा काम करेगा ऐसा कह कर सब पंबित पालक को देखने गये बालक को दी बुद्ध और चपल देख कर खुश हो गये और ५. हाराजानी यात्रा को उठा लाये । विक्रम सं. १९६७ दीपावला के दिन से आदिनाय स्तोत्र से आपका अध्ययन प्रारम करा गया । क्रम म. १९७५ में म.मकीर्तितो महाराज का स्वगत्राम हो गया तो म. -य कौतिकी महाराज ने आपके अध्ययन के लिये एक हित की व्यवस्था कर दी। परन्त १७E में भ० यशकीतिजी महाराब गुजरात में भ्रमण करने पधारे पब से आपका अध्ययन छूट गया और गह! के सारे कार्यों का उत्तरदायित्व प्रापके फों पर श्राफ्ला फिरभी पापने अभ्ययन प्रारम रक्खा और गद्द के संपूर्ण कार्यों को योग्यतापूर्वक व्यवस्था करने लगे यद्यपि मापने कोई परिक्षा उत्तीर्ण नहीं की परन्तु सभी विषयों में अच्छी योग्यता रखते है। शास्त्र सभा में जनता को मुग्ध कर देते हैं। संत्र मंत्र ज्योतिष और देश में भी आपको अच्छी योग्यता है। वास्तु शास्त्र में तो आपकी गति अत्यन्त प्रसंशनीय है। मन्दिर मुरती ध्वजादण्ड काश वेदी आदि के प्रनाशिक नाप तत्काल निकाल देते हैं। आपकी देख रेख में कई शिखर बडू मंदिरों और जज जिन गृतियों का निर्माण या है। इसी प्रकार गृह वास्तु शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान है। आपके द्वरा म.नों प्रतिष्ठाएँ और विधान कराये गये हैं। प्रतिष्ठा पाठ के शास्त्रीय ज्ञान के अलावा प्रस्त्रर बुद्धि के कारण तत्सम्बंधी अन्य प्रायोजन मी बडे रमणेय और चिन्तारूर्षक रहते हैं। इतिष्ठा कराने और विधि विधान सम्पन्न कराने की मापको अपनी निराली ही शैली और विशेषताएं है । प्रतिष्ठा में कल्याणक एवं अन्य दृष्य एसो माधब के साथ दिखाये जाते हैं जिनसे अनता बड़ी प्रसन्न होती है। भापकी प्रविष्टा कराने की पद्धति की अनेक भाचार्यों मुनियों प्रतिष्ठाचार्य विद्वानों और समाब के प्रतिष्ठित नाओं भादि ने मुक्त कंठ से प्रसंशा की है। जिन दिनों प्रविष्य में कल्याणक की झियाए' होती है अाप इतने
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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