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श्रीमद् पंडित रामचन्द्र
चाल गौर वर्ण और रहने वाला व्यक्तित्व, चालस्य खुद जाने वाले। बाहर से
वाद की घोड़ी और चार से ढँका हुआ हट्टी भर हड़ियों का ढांचा, छोटा कद और सम्बी सलाद वृद्धव के परिचायक पूर्ण श्वेत केश समापय के पूर्व तक छिपा और निराशा के कट्टर शत्रु जबसे जगे सभी से सुबह मान कर क.म. में कुछ उम्र दिखाई देने वाला स्वभाव परन्तु भीतर से अत्यन्त कोमल यह
है
प रामचन्द्र का संक्षिप्त परिचय |
आपका जन्म विध्म सं० १६६२ में नीमच के पास शाम
के त्रिमी गुजरत
म सं. १६६६ में भ० रोमकीर्तिजी मद्दाराज
त्रास जगन्नाथ के घर में हुआ था आपकी माता का नाम इमामबाई था आपके पिता गन्ना थापको ६ माह का रखकर ही स्वर्ग-सी हो गये थे । बाई आजीविका के लिये क के बलक रामचन्द्र को लेकर प्रतापगढ़ चली गई । का प्रतापगढ़ में चातुर्मास था उनके पास मण्डल का पाठ सुनने एक श्वेताम्बर स्थानक वासा धूलजी संठ वाया करते थे एक दिन उन्होंने कहा कि एक ४ वर्ष का मक्षण का लड़का है आप शिष्य रखना चाहें तो मैं उसकी मां को समझा कर दिलवा दूं' | महाराज श्री ने कहा कि माणको शिष्य रखने से क्या लाभ होत परन्तु यहां पर बैठे हुए महराज श्री के शिष्य पं. विशनलाल पं. हीरालाल पं. प्यारेलाल और रसोइयां वालजी आदि ने कहा कि ब्राह्मण है तो क्या हर्ज हे गौतम गणधर भी तो श्राह्मय थे अपने यहाँ एक छोटा बालक होगा वो इन सब का मनोरंजन भी गा