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________________ ... केस भरि कुसुम पय सरस ढोलंतिया, क्या छणइंद सम कंतषिय सतिया । कमलदल पण जिण वयण पेखंतिया, जोइयं सुन्दरं जिण प्राचियं ॥ ४ ॥ इंद परिणिन्द जक्खेन्द बोहतिया, मिलिय सुरु असुर भए राति खेलतिया । केमि सिय चमर जिला विम्ब ढोलंतिया, जोइयं सुदरं मिणघ आरतियं ॥५॥ ग था-गंदी सुरम्मि दीवे बावए जिणालयेसु परिमाणं __अट्टादि बा पव्वे इन्दो आरतियं कुणाई ॥ ६ ॥ छंद-मंद प्रारचियं कुणाइ दिया मंदिरं, स्यण मणि किरण कमले हि र सुन्दर । गीय गायति एचंति कर पाडियां, तूर वनति सागा विहगाडियं ॥ ७ ॥ गाथा-एक्के कम्मि य जिणाहरे चर चउ सोलह बाबीओ । जोयण लवख पमाणं, अट्ठम गंदीसुरं दीवे ॥ ८ ॥ इंद-महमं दीव सांदीसुर भामुर, चत्य चैत्यालये बंदि अमरामरं । देव देवीउ जद धम्म संतोसिया, पंचमं मीय गाति रस पोसिया ॥ १ ॥ गाथा-दिव्वेहि खीर रेहि गंधड्ढाइहिं कुसुममालाहिं । सबसुर लोय सहिया पुजा आरंभए इंदो ॥ १० ॥ छन्द-ईद मोहम्मि सगाव बमोमयं, श्रापउ सज्जि एरावयं वर गपं । ___ सब्ब दम्वेहि भवेहिं पूजा करा मिलित्र पडि ३क्खया तस्स तिहु देसया ॥ ११ ॥ . . . ॥११॥ - -
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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