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________________ ११०५ . अषणाचल अढ़ी कोडी पुनीश, बड़गामपूजौं गौतम गयीश । जम्बू स्वामी मथुर। पुर थान, सेठ सुदर्शन पाटली पुत्र जान ।। १६ ॥ ग्वालियर गढ़ बन्दौं जिनराय, बावनगज पुर के सुख काय ।। पाटरड़े बन्दौं जिनदेव, अशिन्धो पार्श्व करे सुर सेव ॥ १७ ॥ जाम नयर जय सहित आदीश, वर्धमान सारंग पुर ईश । रावण पास अचलपूर राय, पूज्यपाद मुनि प्रणमित पाय ॥ १८ ॥ हूँगरपुर वन्दौ मल्लीनाथ, सागवाड़े आदि भव पाथ । ___ वायु पूज्य बांसवाड़े घाम, खांधु नयर शीतल जौं नाच ॥ १६ ॥ वन्दी जलधिमांही जयवंत, काशगीउ बाहुबली संत । नन्दीश्वर जिन गेह शवन्न, कुण्डल गिरिवन्दौं जिनधन |॥ २० ॥ पूरब पश्चिम जिनवर गेह, उत्तर दक्षिण वन्दो तेह । बीम जिनेश्वर क्षेत्र विदेह बन्दौं भवियसा शाश्वत तेह ॥ २१ ॥ चन्द्र नक्षत्र सु भानु विमान., ताराग्रह वन्दों जिन भान । त्रिभुवन महीं जिनवर सार, चंदत भवियण लहे भवपार । २२ ।। पत्ता=जय जिनवर स्वामी, पदशिर नामि, फरजोड़ी मनभाव धरी । ज्य सागर वंदित, पाप निकंदित, रत्न भूषण गुरू नमस्करी ॥ २३ ॥ इति जय माला पूर्णायम् ॥ . भर८1
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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