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________________ १२०४।। पाण्ड पुत्र मनि अवह कोड़ि, शत्र जय चन्दौं कर जोड़ी । हस्तिनामपुर कुरू वंशी जिनंद, शांति कुंथु अर सेवें फणिन्द ॥ ७ ॥ वापारसी जिन पार्श्व मुपाचे, जे वंदे नाशे मन श्रास । नाग नरामर चर्चित पाद, लोढ़या पार्श्व हरे विखवाद ॥ ८ ॥ वंशस्थता गिरी जिनवर धाम, आगल देव धारा सन ठाम || तेह नयर वन्दौं वर्षमान, अम्बापुरी चिंतामणि भाण ॥ ६ ॥ मुक्ता गिरि मुनि मुक्ति निवासः तुगीश्वर पूरे मन श्राश । चन्दौं गज पन्था मिरिराय, वाचन गज विद्याचल ठाव ॥ १० । कुलपाक वन्दौं माणिक देव, गोम्मट स्वामी करू नित सेव । नव निधि इन्दौं देहि शिव वास, खेल गांव कमेठश्वर पास । ११ ॥ अम्बापुरी श्री मल्लि जिनेश पैठण सुखद मुनि सुत्रतेश । एण्ड वेली नेमीश्वर देव, त्रिभुवन तिला खंडव पुर सेव ॥ १२ ॥ 1; अतरीक्ष बन्दों जिन शस, श्रीपुर नयर पूरे मन आश ।। होला मिरि इन्दों शंख रिनेश, तारंगे पूर्जी मुनि ईश ॥ १३ । सुयुगढ़ जिन बिम्ब मनोहार, आदि नाथ पालें भवपार ॥ वड़ावली पूजो अभी झरा पास, धुलेर नयर ऋपभजिन भाप । १४ ॥ पूजौं माण्डव गढ़ महावीर, उज्जयनि अब ति धीर । मालव मण्डन मनसी पास धरणेंद्र पदमावती से जास । १५ । . १०४
SR No.090446
Book TitlePraching Poojan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Chandra Jain
PublisherSamast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size6 MB
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