________________
॥ जयमाला ॥ श्रीमन्ना कि किरीट कोटि किाणे रुमापित सर्वदा, श्रीमन्मन्दर पर्वते चिरतरं शकः कृताराधनम् ।
लोक्योदर जीव सौख्य जन धर्माधि चंड प्रभं,
वन्देतं बिन पुगवं प्रतिदिनं देवाद्रि मूर्ध्नि स्थितम् ॥ १ ॥ प्रातिहाय गण नायक जय जय, अजरामर पद दायक जय जय । .
__पाप तिमिर भर भजन जय जय, विद्यापर गण रंजन ज य ज य । २ ॥ जनन पयो निधि ताररा जय जय, कर्म कलंक निवारमा जय जय ।
सुर समाज पद वंदित जय जय, दुषण निखिल निर्कदित जय जय ॥ ३ ॥ किल्पिप सुभट विखडन जय जय, त्रिभुवन मंदिर मंडन जय जय ।
मुक्ति रमणी वशी करण सुजय जय, सकल दोष परिहरण सु जय जय ॥ ४।। अशरण शरण कुराधा जय अप, मविक जीव मा सुखकर जय जय ।
गजमद पंद निकन्दन जय जय, गर घर मुनिजन वन्दन जय जय ।। ५ ।। यत्ता-जय दोष बिहडन, त्रिभुवन मंडन, निखिल जीव शीव सुख करण ।
श्री भूपण वन्दित, पाप निहित, ब्रह्म ज्ञान भन भव शरणः || अर्यम् ॥
॥
७॥