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इत्यादि वचनधी जाणी झकाय छे. पूर्वे ए आगमरूप गणाता सूत्रोना दरेक पर्नु चारे अनुयोगगर्भित व्याख्यान करवामां आवसु हुनुकेटलोक समय वीत्या बाद अवसर्पिणीना दुषम काळना प्रभावे जीवोनी थती बुद्धिमंदत्तायी ते ते अनुयोगोमा पती गुंचवण विगैरे कारणो ध्यानमा लइने पूज्यपाद-- जगद्गुरु-न्यूनदशपूर्वधर भगवान् श्री आर्यरक्षितसूरीश्वरजी महाराजाप ते चारे अनुयोगोने प्रत्येक सूत्रोमां जुदा जुदा हेच्या त्यारथी ते ते सूत्रोन व्याख्यान ते ते अनुयोगने आश्रयीने ज करवामां गौरव छे. वळी हालनी अनेक शोधखोळो पण ते ज विद्या मंत्र विगेरेना बजाना समान आगमोमांथी ज नीकली छे. कारण के से आगमोमां ज कर्मवाद-परमाणुवाद-आत्मवाद विगैरे संपूर्ण अपूर्व फिलोसोफी भरेली छ. मार कहतुं जाइए, फे-दरेक परमाणु जुदा जुदा स्वरूपे परिवर्तन पामे छे, माटे वास्तविक रीते रागद्वपनुं खरं कारण कोई अन्य छेज नहीं, केवल अज्ञानजन्य जुदी जुदी प्रतीति थाय छ. एम जैनागम पहेलेथी ज फरमावे छे. वळी शब्दने आकाशनो गुण छ एम माननारा नैयायिकोने जैनदर्शन पहेलेथी जणावतुं हतुं के-'शब्द प पौद्गलिक पदार्थ छ.' एम नहीं स्वीकारनारा तेओ फोनोग्राफनी शब्दने केच (पकडवानी) करवानी शक्ति जोइने हवे कबूल करे ज छे. कारण गुण नो पकडाय ज नहि; पुदल ज पकडी शकाय. ए वात तो जगजाहेर छे. वळी वायरलेसू टेलीग्राफनी शोधखोलने जैनदर्शन नवीन शोधखोल तरीके स्वीकारतुं ज नथी; कारण के अमारा निर्दोष सुवर्णसमान पवित्र आगमो पहेलेथी ज डिडिम वगाडीने जगावे छ के तारना अनुसंधान विना पण मुघोपा घंटाना शटदो असंख्य योजन दूर रहेला बीजा विमानोनी घटाओमां उतरे छे. ते सांभाळवाद्वारा देवताओ कल्याणकनो महोत्सव करवा सावधान थाय छे. र शवशक्ति सिवाय बीजु शु होइ शके ? सदाकाल आरंभपरिप्रहथी निवृत्त रहेनारा आपणा श्रीतीर्थंकरदेवो आरंभपरिग्रहादिथी बनता पपेरीमेंट (प्रयोग) अजमाच्या शिवाय मात्र केवलज्ञानथी जाण्या यार देशनाद्वारा कहे छ के–वे वायुना योगे पाणी नीपजे छे. आ वात जुओ सूयगडांगसूत्रमा वातयोनि पाणी कमु छे. तथा वनस्पतिमा जीच छ एम कहेलुं छे. (जुओ आचारांगसूत्रमा) एम छतां हालना शोधखोल कर नाराओ, जेओ उपर कहेल बातने नवीन शोधखोळ तरीके जाहेर करे छ, तेओ जैनसिद्धांतनो पुरेपूरो अनुभव नहि होवाने लइने ज तेम जणाचे छे. वळी आत्माना