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|| श्रीवीरपभुदेहप्रमाणविरोधाशङ्कानिरामः ॥ स्वामी उत्सेधांगुलनी अपेक्षाए २१६ अंगुल प्रमाण ( थे उनमेधांगुले श्रीषोरनुं १ आत्मांगुल गणतां ) थाय, तो १०८००० ने २१६ घी भाग भापता ५०. आवे, तेथी भरतगी अपेक्षाप श्री धीर भगवान. ५,५० में अशे ( भागे) छे. अथवा श्री वीरथी भरत ५०० गुणा मोटा छे, कापले के- " भरहायगुलमैग, जाइ य पमाणेगुलं विणिहिट । तो भरहो वीराओ, पंचमय गुणो न मेंदेहो ॥१॥(अर्थ-भरतनु भामागुल मेज प्रमाणांगुल कारले, तो ते श्रीशीरभगधा. नथी भरन ५०० गुणा होय एमो संदेह नथी.) या जो बे उत्सेधांगुल प्रमा ण श्रीधीर- १ आमांगुल है, तो श्रीधीर भगवान् आत्मांगुल बढे ( पोताना अंगुलबडे) १०८ अगुलं उ'चा कंघी रोते होय ? कारण के प प्रमाणे नो श्री वीरभगवार गुलजा के शरी, 3 माणं-- श्रीधीर भगवान उन्सेधांगुलबडे ७ हाथ प्रमाण छ, अंने एक हाथना २४ अंगुल थाय नो चोयोशने सातथी गुणता १६८ उत्सेधांगुल थाय, अने में उत्सेधांगुले. श्रीधीरन १ भास्मांगुल छ तो १६८ में वेए भाग आपता (१६८ अंगुलने अर्ध करतां) ८४ आत्मागुल श्रीवीरभगवाननुं प्रमाण आवे छतां श्री पीर भगवान् १०८ भास्मांगुल प्रमाण' गणाय छे. पुनः जी श्री वीरभगवानं २०८ आरमोगुल प्रमाणन होय तो वे उस्सेधांगुले श्रीधीरनु १ आत्मांगुल गणतां श्री वीरभगवान. २१६ उत्सेधांगुल प्रमाण थाय, अने सेम एवापी भगवान् उस्सेधांगुल पद ( २१६ अंगुलने २४ थी भाग आपतां ) १ हाथ प्रमाण थाय, अने ए बात(भीषीरपभुनी ९हाथनी उचाइ)कोइने पण सम्मत नधी तो थे उस्सेचांगुके श्रीधीरनु एक आत्मांध इत्यादि अंगुल में प्रमाण निर्मषाद रहित कम गणाय ! पीजे स्थाने पण कम्युछ के पर्व वायंगुलओ. कहम. दुसयं जिणा इषा धोरो । उस्ले हगुलमाणेणं. कहं च सयमसष्टुं सी ॥१॥ दा सोलमुत्तरसया, उस्सेहंगु रुपमाणी पर्व । अहवायंगु रमाणेण, होड चुलसी मुयिती ॥२॥ (अर्थ-जो प प्रमाणे होय तो श्री घोर मिनेश्वर आत्मांगुलथी १५८ अंगुल प्रमाण केसी रीते होय ? अने जो आत्मांगुलश्री १०८ अंगुल प्रमाण होय तो ते श्री धीर उस्सेधांगुलपडे १६८ अंगुल (७ हाथ) केवी रीन होय ? ॥ १ ।। अने प प्रमाणे तो उस्तधांगुलथी २१६ अंगुल, अथवा आ. मांगुल पढे ८४ अंगुल श्री धीर भगवान 'पा होशके छ. ) ए प्रमाणे .. श्रीशीरप्रभुथी भरतचक्री ५०० गुणा उचा" संबंधी प्रथम विरोधोद्धापना अने अनंतरोफ बे गाथामा धोजी विरोधोडायना करी.