________________
॥ भीवीरप्रदेहमाणविरोधशकोद्भावना ||
( २९ )
ए प्रमाणे आत्मगुलतुं स्वरूप क ॥ परमाणु-रेथरेणु सरेणु - बालाम - खीख जू--अने जप अमुक्रमे आठ आठ गुणा अधिक कर्या छतांसेगुरू याय || २ || इत्यादि रूप से सुं ॥ एषी ममार्णागुल १००० होय, अने तेज उरसेषांगुल बमणुं पयुं छतुं अर्थात् वे उसे गुड प्रमाण श्रीवीर भगवाननुं १ आत्मगुल क . ॥ ३ ॥ प्रमाणे प्रमाणांनु स्वरूप जाणवुं " ॥
१ अहिं परमाणु " शब्दषडे व्यावहारिकपरमाणु जाणको पुनः जीणिकानेज परमाणु माग्यो हतो से मन्तब्य
समासमा कता जे
आ प्रज्ञापनातिकर्माना मन्तव्य साथै मळतु आयु छे.
२ चालु प्रकरणने अनं करेणुने बदले रथरेणु गण्यो छे.
48
३ चालु प्रकरण ८ रेणु मळोने १ त्रसरेणु थाय म कह ने अ८ि रथरेणु महीने १ त्रसरेणु कधी तफावत फ्रे.
चालु प्रकरणमा त्रसरेणु पछी रथरेणु गण्या बाद बालापनी गणश्री यह इसी अहिं त्रसरेणुथी सुरतज वाला को ए तफावत है, इत्यादि परस्पर घणो तफावत छे.
५ जब पटले अवनी मध्यम भागल समजषो.
(*श्री मापनाशीने अभिप्राये २०९७१५२ परमाणु १ उसेघांगुल पाय छे.) कोष्टक नीचे प्रमाणे
२०९७१५१ परमाणुये(व्य० ) १ अंगुल ५१२ २६२१४४ रथरेणुये
६४
३२७६८ स
४०९६ बाळा
35
"
"
छोखे १ अंगुल
सूप
८ य
14
( भगवती आदि सिद्धान्तोने अनुसारे सूक्ष्मपरमाणुथी मांडीने प्रकरणो चाक उस्ले गुल प्रमाणनुं कोष्टक. )
I
1 'अनंतासूक्ष्म परमाणु
अनंतभ्यषचार परमाणु
१ ( जीवसमासमते अनन्तसूक्ष्मपरमाणुश्री अ उत्तणश्लक्ष्णिका बाय छे. बने अनन्तलक्षणलक्ष्णिकाथी एक क्षणलक्षिणका बने थे आणि का व्यवहारपरमाणु नाम कडेबाथ छे, अवान्तर जुषो व्यवहारपरमाणु नधी)
१ व्यवहार परमाणु
१] उणणिका