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________________ (३८०) ॥ ज्ञानबारे श्रुतनिश्रितमनिझनिभेदविचारः ।। दार) माथे केटलाक रुपीयानी विनोतनैमित्तिकने दक्षिणा आपी, बीजो शिप्य खेद पामतो छतो पोताना पिसमा विचारणा लाग्यो के निश्चये गुरुए मने बराबर भणाख्यो नथी नहि तो हुँ यथार्थ स्वरूप जाणतो भयो अने आ जाणे छ, ५ केम बने ?, गुरुर्नु कार्य करीने बेड गुरुनी पास आध्या, विनीतशिध्ये दर्शनमात्रमा ज मस्तक नमावी अञ्जलिपुट करी बहुमानमदिन आनन्दना आंसुये भीजायेला नेत्र गुरुचरणोनी चचे मस्तक स्थापन करी प्रणिपात काँ. बीजो शिष्य मात्सर्यानिथी धमधमतो किश्चित् पण मस्तक नमान्या विना पत्थरमा स्तम्भमी जेम अक्कड उभो रखो, गुरुए तेने कई अरे कम पगमा पडतो नथी ! तेणे कई आपे जेने सारी रीत भणाष्यां छै ते पगमां परशे. मने सारी रोते भणाग्यो नथी " तने सारी रीते केम मणाच्यो नथी " तेम गुरुना प्रश्नना जवाब मां तण पूषनी सर्व वृत्तान्त करो. हे वत्स ! से आ शी रोते जाण्यु ? गुरुए विनीत शिष्यने पूछ. विनीत जबाव आपे छ. आप पूज्य गुरुना फरमानवडे विचार करया शरु कयो, आ हाथोना पगला तो प्रसिद्ध छे पण विशेष विचारतां शृं हाथी इशे के हाथणीना ! त्यां पेशाब ओइने हाथणीना छे तेम निभय कयों, षळी मार्गना समण पहखे घाट उपर उगेलो वेलडीओनो समाह दायेलो शीर्ण विशीर्ण देख्यो पण हाथे पडग्वे मेम न देखवाथी हाथणी बाबी आंखे काणी छे, नमज आधा परिवार माहित हायणी उपर चढोंने जवाने बोजो लायक कोर न होई शके तेथी जार को राजधी मनुष्य जाय छे. से मनुष्ये कोइक स्थले हायणीथी उतरी पेशाब कों ने देखधाथी राणी छे, वळी वृक्ष उपर वळगेला लाल वस्त्राश्चलना तांतणा देषाथी ने सधया छे, जमीन उपर हाथ स्थापीने उटवानो आकार देखाथी गर्भवती तथा जमणो पग भारथी भुकेलो देखधाथी तुरतमांज पुत्रने प्रसवनारी छ, तेम सर्व निशप फर्या, तेमज वृत्वा श्रोनो प्रभ कर्या पछो तुरतज घट पही जबाथी भा प्रमाणे विचार कर्यो के “ जेम आ घट जेनाथी (माटीथी) उत्पन्न थयेलो ते त्यां (माटीमां) ज मळी गयो तेम पुत्र पण मानानो मेळाप पाम्यो, आ वृत्तान्त सांभळी .गुरुप विनीत शिष्य उपर सानन्दद्दष्टि मांनी प्रशंसा करी, बीजाने क' के नारोज आ दोष छे. जे तुं पाते विचार करतो भथी, अमे तो शाखना यथार्थ अर्थ मात्रनो उपदेश आपषामा अधिकारो छौये विचारणा करवानो तमारो अधिकार छे. (इति दृष्टान्तः) आ विगेरे बोजा पण अनेक दृष्टान्तो वैमायिको बुद्धिप्रदर्शक श्रीनन्विटीका विगेरेमा
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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