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________________ . (३०४१ ॥ इन्द्रियद्वारे तदिपयप्रमाणस्वरूपनिरूपणं ॥ द्वार) भवज नथी. ॥५३॥ कळी "निश्चये २१ लाख ३४ हजार अने ५३७ अधिक (२१३४५३७ योजन)ए चक्षुना विपयर्नु प्रमाण पुष्करादबीपमा रहेनारा मनुष्योने पूर्वदिशाए अने पश्चिमदिशाए जूर्दु बर्दु शे(अर्यात् पूर्वमा २११४५३७ अने पशिमा पण २१३४५३७ यो० ) एम जाणवू. " ॥ ५३८ ॥ जो ए प्रमाणे मुत्रमा कहेलं छे तो पूर्व कईलो ते चाइन्द्रियनो (१ लाख यो० अधिक) विषय विसंवाद केम न पामे?(पूर्वापर विरोधी केम न कहेवाय?), अहिं पूर्व पंडितोए ए सूत्रनुं तात्पर्य आप्रमाण कढे छे के-चक्षुइन्द्रियनो उत्कृष्ट विषय लाख योजन प्रमाण छे ने अभास्वर एवी ( मकाश रहित ) पर्वतादि वस्तुओनी अपेक्षाए निश्चय करेलो छे. ॥ ५४० ॥ अने प्रकाशवाळा पवा सूर्य वगेरे पदार्थोनी अपेक्षाए तो तेथी अधिक पण जाणवो. ए खुलासो मूळ सूत्रमा नयी तोपण "व्याख्यानात् विशेषप्रतिपत्तिः " एटले व्याख्यानथी (टीका वगेरेयी) विशेष ( ) ज्ञान ( ) थाय छे ए न्यायने अनुसार जाणचो. ॥ ५४१ ॥ आ वर्णन श्री विशेषावदपकजीमां भावार्थरूपे करेलुं छे... अनन्ताणूद्भवान्येतानीन्द्रियाण्यखिलान्यपि । असङ्खयेयप्रदेशावगाढानि निखिलानि च ॥ ५४२॥ स्तोकावगाहा दृ. क् श्रोत्रघाणे सङ्ख्यगुणे क्रमात् । ततोऽसङ्घयगुणा जिह्वा, संड्यघ्नं स्पर्शनं ततः ॥ ५४३ ॥ स्तोकप्रदेश नयन, श्रोत्रं सङ्क्षयगुणाधिकम् । ततोऽसंख्यगुणं घ्राणं, जिह्वाऽसङ्ख्यगुणा ततः ॥ ५४४ ॥ ततोऽप्यसङ्ख-यगुणितप्रदेशं स्पर्शनेन्द्रियम् । इत्यल्प १ पुष्करार्धनी मर्यादा करनार (अथवा मनुष्यक्षेत्रनी मर्यादा करनार) मानुषोसर पर्वसना उत्सर किमाग उपर करतो सूर्य पुष्कगर्धमां हेला मनुष्याने २१३५५३७ योजनयी कंडक अधिक पर पूर्वदिशामां उदय पामता देखाय छे, अने पटल ज दूर पश्रिम दिशार्मा अस्त पामतो पण देखाय छे, मनुष्यक्षेत्रनो व्यास ४५ लाख जोजन छ तेनो धर्ग करी दश गुणी वर्ग मूळ काढतां से परिघ आवे ते प्रण दशांश ( 33 ) भाग २२३४५३७ जोजन अधिक याय. प २६ लाख इत्यादि प्रश्नोत्तररूप संषाद श्रीविशेषावश्यकजीमा छे. २“ व्याख्यानतो विशेषप्रतिपत्तिर्भवति न हि मन्देहादलक्षण " व्याख्यामी (टीका विगेरेयी) विशेष (स्वरूप) झान थाय छ, सन्देहथी सूत्र असूत्र थतुं नथी, ( परिभाषा )
SR No.090439
Book TitleLokprakash
Original Sutra AuthorVinayvijay
Author
PublisherSanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
Publication Year
Total Pages629
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size16 MB
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