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समथन वषना परायो
समर्थन वर्षना परपर्यायो
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४५६
४५९
४६७ ४६७ ४६७ ४६८
मतिज्ञानमा मतिझानमा (अस्तित्व स्वत्वरूपे) __ जाय ते जाय ते अनुदात्त अने मध्यमां स्पर्श
करीने जाय ते सव
सर्व श्रुत सागरोपम सागरोपम-माधिक संख्ये संख्येय असंख्ये असंख्येय सांगर सागर-साधिक अवधिज्ञान अवधिज्ञान, अचक्षु, अवधिक मति-अज्ञान
मति-अज्ञान अचक्षु ओप
औप अचक्षुदर्श अचक्षुर्दर्श यधी
सर्पयी सागरोपम सागरोपमसाधिक सागरोपम मागरोपमसाधिक प्राणमन प्राणभूत म था
सर्वथा दशिनं दर्शिन नहारकः नाहारकः नजसः वम्
ध्रुवम् साम्य
सम्य श्वति
अन्तर्मु स्थि
स्थिति
४७४ ४७५
तेजसः
४८२ ४८६
धति
४९८
अन्तमु
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