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॥ श्रीलोकप्रकाशे विमीयः सर्गः ॥ (सा० ५१) (१२५. ) [कान्धी]
शेष : भांगावाचा
(लिंगथी) अरसपिणीना श्रीजे आरे १०८ अन्य साधुयेषवाळा
. १-२-४-५-६ आरे १० । गृहस्थ वेषवाळा अवस० ना चोथे आरे १०८ जनमुनि वेषवाला अषसना पांचमे आरे । २० 1 [वेदवार ] अबसन्ना १-२-३-६ आरे १० | पुरुषलिंगवाळा
[संक्रान्त वेदथी] । स्वीलिंग पुरुषथी पुरुष ययेला १७८ नपुंसकलिगे
॥ श्रीसिद्धप्राभृतोक्त सिद्धजीवाल्पत्रहुत्व विशेषविचारः ॥
( वेदवार )-नपुंसकसिद्ध अल्प--१. तेथी स्त्री सिद्ध संपातगुण-२० ( सिद्धप्रामुमनी प्राचीन टीकाकारमते १०) तेथी पुरुष सिद्ध संख्यागुण १०८
( निरन्तर समयबार)-आठ सपयमुधी थयेला सिन्न अल्प. तेथी सप्तमामयिक सिद्ध संख्यानगुण, तेथी छ सामयिक मिड संख्यानगुण, नेथी पंचसामयिक सिद्ध संख्यानगुण, तेथी चतु:सामयिक सिद्ध संख्यातगुण, तेथी त्रिसामयिक सिद्ध संग्ल्यातगुण-तेथी द्विसामयिक सिद्ध संग्ठ्यानगुण,
(एक समयसिद्धि संख्यामार )-१५८ सिद्ध अल्प, तेथी १०७ मिद्ध.अनन्नगुण यावत् ५० सिद्ध अनन्तगुण. त्यारबाद ४९ सिद्ध असंग्यगुण तेथी ४८ सिद्ध असंख्यगुण यावद २५ सिद्ध असंख्यगुण, तेथी २४ सिख संख्यगुण, तेथी २३ सिद्ध संख्यगुण यावत् १ सिद्ध संख्यगुणा.
(अनन्तरागतसिचुसंख्याद्वार)-मनुष्यस्वीथी आवेल अल्प,नेथी पमुष्पथी आवेल संख्यातगुण, तेथी नारकसिद्ध संख्यगुण, तेथी तिर्यची सिह संख्यगुण, तेथी तिर्यंचसिद्ध संख्यगुण, तेथी देवी सिख संख्यगुण, तेथी देवसिद्ध संख्यगुण.
(इन्द्रियबार)-एकेन्द्रियागससिद्ध अल्प,तेथी पंचेन्द्रियागतसिद्ध संख्यातगुण.
(कायद्वार )-वनस्पति सिद्ध अल्प, तेथी पृथ्वीकापसिद्ध संख्याण, तेथी अपकायसिद्ध संख्यगुण, तेथी प्रसकायसिद्ध संख्यगुण. .
(अनन्तर गतिवार )-चतुर्थपृथ्वी सिद्ध अत्य, तेथी तनीय पृथ्वीसिद्ध न्यातगुण, तेथी दिनीयपृथ्वीसिड संख्यगुण, तेथी प्रत्येकवादरपर्याप्तवनस्पति
व्यात गुण, तेथी चा० पर्या पृथ्वीकासिद्ध मंख्यानगुण. तेथी या पर्या.