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(११) ॥ सिद्धावगाहना-मरुदेषावगाहनासमाधानविचारः ।। हना आठ अङ्गुल सहित एक हाथनी (पटले १ हाथ-८ अनुल) होय . तथा ए जय० अने उत्कृ० बेनी बच्चेनी मध्यम अवगाहना अनेकप्रकारनी होय छे. ॥ १२३ ।। सिद्धतिमा जे १६ अंगुल सहित चार हाबनी ( ४ हाय-१६ अङ्गु. W) मध्यम अवगाहना गणाय , ते सर्व मध्यम अवगाहनाओना उपलक्षणवाळी जाणवी, ॥ १२४ ॥ पूर्वभवमा जीवनी जे अवगाहना होय तेनो श्रीनो भाग न्यून सिद्धपरमात्मानी अवगाहना होय. ॥ १२५ ॥ पूर्वभवर्मा (मोक्षेजनार) जीवनी उत्कृष्ट अनगाहना ५०० धनुष्य, मध्यम अवगाहना अनेकमकारनी ( ५०० थी न्यून भने ४८ अङ्गलयी अधिक ), अने जघन्य अवगाहना २ दापनी होय छे ॥१२६नया तीर्थकरोनी अपेक्षाए जघन्य अवगाहना ७ हाय प्र. पाण होय,ते सर्वनो श्रीजो भाग न्यून करवाथी से ते अवगाहनाओ सिद्धपरमास्मानी थाय ।। १२७ ।। ए अभिप्रायथोज उववाइ उपांगमां कहां के के"मोक्षे जता जीयो हे भगवन् ! केदली उंचाई होते छते मोक्षे जा. प? जवाय-हे गौतम ! जघन्यथी ७ हाथना अने उत्कृष्टथी ५०० धनुष्य उचाईमां [जीवो ] मोक्षे जाय."
प्रम-जो ए प्रमाणे छ सो नाभिरामाना जेटली सवा पांचसो पनुष्प (५२५ धनु. ) उचाइ वाळो श्रीऋषभदेवप्रभुनी माता मरुदेवा केवी रीते मोक्षे मर्या ? ॥ १२८ ॥ श्री आवश्यकनियुक्तिमां कंधु छ के-( कुलगरनी स्त्रीओनु) "संघयण-संस्थान-अने संचाइ निश्चय कुलगरो जेटली होय छे" ५ बचनयी ( ५२५ धनु० उषां मरुदेवा केम मोशे जाय ?) ।
उत्तर-" उत्तम संस्थानवाळी स्त्रीयो ते काब्ने योग्य संस्थानवाळा पु. रुषो करतां कंइक न्यून प्रमाणवाळी होय . ए प्रमाणे ते मरदेवा मामानी अबगाहना ५०० धनु० प्रमाणज हती. ॥ १२९ ॥ अथवा हस्तिना स्कन्ध उपर पेठेल होवाथी कंइक संकोचायली कायाबाळां एवा महदेवा माना ५०० धनुष्पा उचां इतां माटे कोइपण विरोध नपी." , १३० ।। ए अभिप्राय भाष्यकर्ता
३ जे पक मध्यम अषगाइनानुं नाम लेवाथी पीजी सर्व मध्यम अवगाहनाओ अध्याहारथी प्रहण थाय माटं अहिं जिनेन्द्रसिधोनी जे ४ हा०-१६ अंगुल अघ० अवगाहमा ते सवं जीवोनी अपेक्षाण मध्यम अवगाहना होवायी पर्नु ज उपलक्षण करेल छे. जैम चूला उपर रांधषा मूकेला घोडाभी संपेलो. माथी पक चोखानो वाणी दायी जोषाथी तमाम वाणाओनी दीलाश ममजी शकाय छ तेनु नाम उपलमण कहेपाय छ,