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________________ ( ६ } [ संस्कृत टीका ] -- ' गुरुजन हितोपदेश:' गुरुजनेभ्यः सकाशाद् हितः श्रहितः उपदेशो येन सौ गुरुजन हितोपदेशः । 'गततन्द्रः ' निरालस्य: । 'निद्रया परित्यक्तः' अतिनिद्रया रहितः । 'परिमित भोजनशील:' परिमितं भोजनं शीलं यस्य प्रसौ परिमितभोजनशीलः । 'सः' एवंगुणविशिष्टः पुरुषः । 'देव्याः' पद्मावत्याः | 'आराधकः ' साधक: । 'स्यात्' भवेत् ||८|| | हिन्दी टीका | - गुरोपदेश से प्रभावित हो अर्थात् जिसने गुरु के चरणो में जाकर उपदेश को प्राप्त किया हो, तन्द्रा से रहित अर्थात् निद्रा विजयी हो, क्योंकि अतिनिद्रा मंत्र साधना में बाधक कारण है, निद्रालु व्यक्ति को कभी मंत्रसिद्ध नहीं हो सकता । अल्पाहारी हो, ज्यादा भोजन से आलस्य और आलस्य से कार्य असिद्ध होता है अतः परमित भोजन करनेवाला हो वही, देवी की आराधना कर सकता है ॥८॥ निर्जितविषयकषायो धर्मामृतजनित हर्षगतकायः । गुरुतर गुणसम्पूर्णः स भवेदाराधको देव्याः ॥ ॥ [ संस्कृत टीका ] -- 'निजितविषयकषायः' विषयाः परचेन्द्रियजादयः, कषाया क्रोधादयः, विषयाश्च कषायाश्च विषयकायाः निजिता विषयकषाया येन सौ निर्जितविषयकषायः । पुनः कथम्भूतः ? 'धर्मामृतजनित हर्षगत काय : ' धर्म एवामृतं धर्मामृतं तेन जनितो हर्षः धर्मामृतजनितहर्षः, धर्मामृतजनितहर्ष गतः प्राप्तः काय:-- शरीरं यस्यासौ धर्मामृतजनितहर्षगतकायः । 'गुरुतरगुण सम्पूर्ण' विशिष्टतर गुणैः सम्पूर्ण: । ' स भवेदाराधको देव्याः स एवं गुण विशिष्टः पुरुषः देव्याः पद्मावत्या श्राराधको भवेत स्यात् ||६|| [ हिन्दी टीका ] - जिसने सव विषय और कषायों को जीत लिया हो, क्योंकि विषय कषाय से किसी भी कार्य को सिद्धि नहीं हो सकती, फिर मंत्र सिद्धि का तो प्रश्न ही कहाँ ? जिसका शरीर धर्मामृत से हर्ष युक्त हो, धर्म ही जीव को संसार से पार करनेवाला है, क्योंकि धर्म के फलस्वरूप ही मंत्राराधक को मंत्रसिद्ध हो सकता है, इसीलिये आचार्य ने यहाँ पर मंत्राराधक धर्मात्मा, सुन्दर गुरणों से परिपूर्ण बताया है। वहीं पद्मावती देवी का आराधक हो सकता है || ६ || शुचिः प्रमत्रो गुरुदेवभक्तो दृढव्रतः सत्यदयासमेतः । दक्षः पटुर्बीज पदावधारी मन्त्री भवेदीरश एव लोके ॥ १०॥
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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