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[हिन्दी टीका]-फिर मंत्रवादी तू जा, ऐसा कह कर जोर से एक लाथ सर्प दष्ट पुरुष को मारे, तो वह पुरुष एकदम खड़ा होकर भागने लगता है। इस प्रकार इस मंत्र का सामर्थ्य है, यह भगवती मंत्र है ।।२१।।
नाग कर्षगनमंत्र इदानीं नागाकर्षरण मन्त्रविधानमभिधीयतेनिपुतजपात् संसिध्यति वशांश होमेन फरिणसमाकृष्टिः। प्रणवादिः स्वाहान्तः चिरिचिरि शब्दादिको मन्त्रः ॥२२॥
[संस्कृत टीका]-'नियुतजपात् लक्षजपात् । 'संसिध्यति' सम्यक् सिद्धि प्राप्नोति । केन ? 'दशांशहोमेन' वश सहस्त्रजपेन । 'फरिणसमाष्टिः ' नागाकर्षणम् । 'प्रणवादिः स्वाहान्तः' उकारादिः स्वाहाशवान्तः । "चिरिचिरिशब्दादिको मन्त्रः'२ मिरिचिरि२ इति शब्दाद्यो मन्त्रः ॥२२॥
मन्त्रोद्धार :-उँ चिरि२ चिरि इन्द्रयाणि ! एहि एहि कड कर स्वाहा।
[हिन्दी टीका]-यह मंत्र एक लक्ष जाप करने से और दशांश होम करने से (दश हजार मंत्राहुति देने से) सिद्ध होता है ।।२२।।
मंत्रोद्धार :-ॐ चिरि-२ इण्द्रवारूशि एहि-२ कड-२ स्वाहा । नाग प्रेषणमन्त्रोऽशीति सहस्त्रैर्दशांश होमेन । सिध्यति जाप्येन पुनः शोणित करवीर पुष्पारगाम् ॥२३॥
. [संस्कृत टीका]-'माग प्रषण मन्त्रः' नागनां क्षुद्रकर्मकरणप्रस्थापनमन्त्रः । 'अशीति सहस्त्रैः' अशीति सहस्त्र प्रमाणः जाप्येन कथम्भूतेनी 'दशांश होमेन' अष्ट सहस्त्र हवनेन । 'सिध्यति' सिद्धि प्राप्नोति । 'पुनः' पश्चात् । केषां ? 'शोरिणत कर वीर पुष्पारणाम्' रक्तकरवीर पुष्पाणाम् ॥२३॥
नाग सम्प्रेषण मन्त्रोद्धार :-उँ नमो नागपिशाचि ! रक्ताक्षिभ्र कुटिमुखि ! उच्छिष्टवीप्ततेजसे 1 एहि एहि भगवति ! फट् स्वाहा ॥ नाग प्रेषण मन्त्रः ॥ ... [हिन्दी टीका]-नाग प्रेषण मंत्र का अस्सी हजार बार जप करने से और
शशि होम करने से सिद्ध होता है किन्तु लाल कनेर के पुष्पों से होम करे ।।२३।। १. प्रणवादि स्वाहान्तश्चिरिथिरि शम्माविको मन्त्रः इति गपुस्तके पाठः। २. चिरिधिरिइतिगपाठ: । .