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प्रतः
सुवर्ण रेखा मन्त्रोद्धार :- सुवर्ण रेखे कुक्कुट विग्रह रूपिणि स्वाहा ।। इयं तोयाभिषेककररण सुवर्णरेखा विद्या ॥
[ हिन्दी टीका ] - जिस को सांप ने काट लिया है उस पुरुष के कान में भेरुण्ड विद्या मंत्र का और सुवर्ण रेखा से मंत्रित पाणी से अभिषेक करे तो सांप के जहर से मुक्ति मिलती है ।।१२।।
भेरुण्ड मंत्रोद्धार :- ॐ एकहि एकमाते भेरुण्डा विज्जा भविकज करंडे तंतु मंतु ग्रामोस हुंकार विष नासइ थावर जंगम कित्तिम अंगज ॐ फट् | यह मंत्र पद्मावती उपासना ग्रंथ में हैं किन्तु बहुत ही अशुद्ध मंत्र है ।
ॐ एहि माये भेरुण्डे बिज्जाभरिय करंडे तंतु मंतु प्राद्येसह हुंकारेण विसरणासइ थावर जंगम कित्तिम अंगज्ज ह्रीं देवदत्तस्य विपं हर २ ॐ हूँ फट् । यह मंत्र तीनों प्रतियों में मिलान करके पूर्ण शुद्ध किया है ।
सुवर्णरेखा मंत्रोद्धार :- ॐ सुवर्ण रेखे कुक्कुट विग्रह रूपिरिंग स्वाहा | विषनाशन मंत्र (द्वितीय)
भूजल महस्रभोऽक्षर मन्त्रेण घटाम्बु मन्त्रिकं कृत्वा । पादादिविहितधारा निपातनाद्भयति विषनाशः ||१३||
[ संस्कृत टीका ] -'भू' क्षि । 'जल' प । 'मस्त' स्वा । 'नभोऽक्षर' हा । 'मन्त्रे' क्षिप स्वाहेत्यक्षर चतुष्टय मन्त्रेण । घटाम्बु मन्त्रितं कृत्वा' कलशोद कमनेन मन्त्रेणाभिन्त्रिते कृत्वा । पादादिविहितधारानिपातनात् प्रापादमस्तकादिकृतजलधारानिपातनात् । 'भवति' स्यात् । 'विषनाश:' बष्टस्य विषनाशः ।।१३।।
मन्त्रोद्धार :- क्षिप स्वाहा ॥ इति निर्विषीकरण मन्त्रः ॥
[ हिन्दी टीका ] - क्षि प, स्वा, हा, इन चार मंत्राक्षरों से घड़े में भरे हुए पानी को मंत्रित करके सर्प दंशीत मनुष्य के सिर से पैर तक लगाने से जहर (विष) मुक्त हो जाता है ।। १३॥
मंत्र :-" क्षिपस्वाहा । "
अष्ट प्रकार नागों का वर्णन इदानीमष्टविधनागाभिधनमभिधीयते--- नन्तो वासुकिस्तक्षः कर्कोटः पद्मसंज्ञकः | महासरोजनामा च शङ्खपालस्तथा कुलिः || १४॥