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________________ ( १२५) कथम्भूतम् ? 'भ्रमन्त' चक्रवद् भ्राम्यन्तम् । पुनः कथम्भूतम् ? 'अरुणप्रभम्' जपाकुसुम वर्णम् ॥२७॥ [हिन्दी टीका-क्लीं कार तत्व को ऊपर, नीचे ह्रीं और वह क्ली के दोनों बाजु ब्ले (बल) कार को चक्र की तरह घूमाता हुआ और जसौंधि पुष्प के वर्ण का ध्यान करे ।।२७।। योनो क्षोभं मूर्धनि विमोहनं पातनं ललाटस्थम् ।। लोचन युग्मे द्रावं ध्यानेन करोतु वनितानाम् ॥२८॥ [संस्कृत टीका]-'योनौ क्षोभम्' तदक्षरयात्मके चकाकरे वनितायोनी ध्याने कृते वनिता क्षोभं प्रयाति । 'मूर्धनि विमोहनम् तदेव ध्यानं नितामस्तके कुते स्त्री मोहनम् । 'पातनं ललाटस्थम् तदेव ध्यानं वनिताललाटे कृते सति सा विह्वलीभवति । लोचन युग्मे द्रावम्' तदेव ध्यानं वनितादृष्टियुग्मे कृते सति द्रावो भवति । 'ध्यानेन' अनेन कथित घ्यानेन । 'करोतु' क्षोभमित्यादि कर्म कुर्यात् । कासाम् ? 'वनितासाम्' स्त्रीणाम् ॥२८॥ [हिन्दी टीका]-ये तीनों अक्षर का ध्यान स्त्री की योनी में करने से स्त्री क्षोभ को प्राप्त होती है, उसी प्रकार स्त्री के मस्तक पर ध्यान करने से वह मोहित होती है, कपाल पर ध्यान करने से स्त्री विह्वल हो जाती है नेत्र युगल पर ध्यान करने से वह द्रवित हो जाती है । इस प्रकार आचार्य के कहे अनुसार स्त्री को क्षोभादिक करे ।।२।। शीर्षास्यहृदयनाभौ पादे चानङ्गवाणमथ योज्यम् । सम्मोहनमनुलोम्ये विपरीते द्रावणं कुर्यात् ॥२६।। [संस्कृत टीका]-'शीर्षे' मस्तके 'प्रास्ये' वदने 'हृदये' हरप्रदेशे 'नाभौ' नाभि प्रदेशे । 'पार्दै' पादयोः 'च:' समुच्चये । 'अनङ्ग वाणम्' द्रां द्रों क्लो ब्लू सः इति पञ्चवारणान् । 'अथ योज्यम्' शीर्षाविषु पञ्चस्थानेषु क्रमेण योजनीयम् । 'सम्मोहन मतुलोम्ये मूर्धादिपादान्त ध्यानेन सम्मोहनम् । 'विपरीते द्रावणं कुर्यात्' तानेष पञ्चबाणान् पादादारभ्य क्रमेण मस्तकपर्यन्तं ध्यात्वा द्रावणं कुर्यात् । द्रो द्रो क्लो ब्लू सः इत्यङ्गानुलोमस्थापने पञ्च बाणाः ॥२६॥ [हिन्दी टीका]-शिर, मस्तक, मुख, हृदय, नाभि और पैरों में अनङ्ग बारण द्राँ दी क्लीं ब्लू सः इन पांच बारगों को मस्तक से प्रारंभ कर पांव की तरफ क्रमशः
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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