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[ हिन्दी टीका ] - ह्रीं के मध्य में देवदत्त का नाम लिखकर, ऊपर से अग्निमंडल बनावे, रेफ सहित बनावे और एक वलय देकर उस वलय में नीचे लिखा हुआ मंत्र लिख दे । इस यंत्र को श्मशान के खपरा पर कपूर, केसर, चन्दनादि सुगन्धित द्रव्यों से श्रादर पूर्वक लिखकर खदिराग्नि में तपावे तो इच्छित स्त्री सात दिन में मदरहित होकर ग्रा जाती है ।। १६ ।।
देखे यंत्र चित्र नं० ३० ।
मंत्रोद्वार : - ॐ नमो भगवति चन्ड (चण्डि) कात्यायनि सुभग दुर्भग युवति जनानामाकर्षय २ ह्री र र यू" संवौषट् देवदत्तायां हृदयं घे घे ।
इत्युभयमाषाय शेखर श्री मल्लिषेष सूरि विरचिते भैरव पद्मावती कल्पेऽङ्गनाकर्षखाधिकारः षष्ठः परिच्छेदः ||६||
इस प्रकार उभय भाषा कवि श्री मल्लिषेणाचार्य विरचित भैरव पद्मावती कल्प का अंगनाकर्षण नाम के अधिकार की हिन्दी भाषा नामक विजया टीका
समाप्ता ।
( षष्ठम् अध्याय समाप्त )
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