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________________ RAMA धतूरा, नागविष आदि जैसे नक्स, आर्सेनिक, लेकेसिस बनकर असाध्य रोगों को नाश कर रहे हैं, उसी प्रकार इस ग्रंथ के प्रयोग भी समर्थ हैं। एवं प्राचार्य मल्लिसेन की यह कृति जिसके भाष्यकार श्री १०८ गणधराचार्य कुंथुसागरजी महाराज एका प्रकाशन संयोजक संगीताचार्य शांति कुमारजी गंगवाल हैं-वे इस भारतीय तंत्र विद्या के इस अमूल्य भैरव पद्मावती कल्प-को भव्य आकर्षक सचित्र मोहक रूप में प्रस्तुत कर प्राच्य भारतीय जैन विद्याओं को विश्व के सम्मुख रख-अद्भुत साहस बुद्धि और सम्यकदर्शन के आठवें प्रभावना अंग का ही पालन कर रहे हैं। विघ्न संतोषी, ईष्याल बरिणकवृत्ति संपादकआलोचकों के छिन्द्रान्वेषण पूर्ण प्रहारों का निर्भीकतापूर्ण सामना करके जो अापने स्थितिकरण अंग का परिचय दिया है वह अभिनंदनीय है। इस प्रकार के प्रयोगों की सिद्धि और सफलता के लिए अनुभवी, तपस्त्री, विज्ञ, निलोभी, गुरु और मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है, उसके बिना यह कार्य सहज नहीं है । मेरे जीवन में अनेक इस प्रकार के अनुभव हुए हैं । देश-विदेश के अनेक राजनीतिज्ञों, श्रेष्ठियों, रोगियों, पुरुष एवं स्त्रियों को मैंने मंत्र-तंत्र--ज्योतिष एवं प्रस्तुत ग्रंथ के प्रयोगों से रोग-शोक-व्याधि अंतराय मुक्त करके-सान्त्वना-शांति-सुख एवं संतोष दिया है। गुरुचरणों में आस्थापूर्वक-इसके सभी प्रयोग करें, सफलता आपको मिलेगी-इति शुभम् । - - --- - महाशिवरात्रि-१६१२८८ भारती ज्योतिष विद्या संस्थान ५१/२ रावजी बाजार, इंदौर अक्षयकुमार जैन हिन्दी बिभाग-गुजराती कॉलेज BY
SR No.090432
Book TitleBhairava Padmavati Kalpa
Original Sutra AuthorMallishenacharya
AuthorShantikumar Gangwal
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Occult
File Size5 MB
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