SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ ] विषय भेदाभेद की सिद्धि से पूर्व आशंका का निरसन अस्पज्ञान में कल्पित विषयता का निरसन अस्पष्ट प्रतीति का अनुमान अन्तर्भाव अशक्य faeप में आरोपित वस्तुविषयता अमान्य ' क्षणिकाः सर्वसंस्काराः ' की अनुपपत्ति फलसाधक धान में अन्यथासिद्धि की शंका का निरसन मन्त्रप्राप्य फल में भी उभयहेतुता निर्बाध पृष्ठ अप्रामाण्य सकलविशेष अग्राहकता रूप नहीं है २८२ अपोह की शब्दवाच्यता का निरसन २८३ ज्ञान-क्रिया में अन्योन्य नेत्रघरणवत् सहकारिता विशिष्ट समवधान से किया में उत्कर्ष की आशंका कर्म विना जन्मादि नहीं होते मुक्ति में शाश्वत परमानन्द माओं के १५ भेद में दिगम्बर २७९ श्रीमुक्तिवाद पूर्वपक्ष २८० २८१ बौद्धशास्त्र निरर्थक हो जाने की आपत्ति fier में होभाव की आपत्ति ज्ञान से ही मोक्ष-ज्ञानत्रादिपश्न क्रिया से ही मोक्ष-क्रियावादी पक्ष २९२ २९० ज्ञान- क्रिया समुच्चय मुक्तिहेतुउभयवादीमत ज्ञानकिया की अन्योन्य संगति २८१ २८६ २८६ २८९ २९४ २९६ २९८ २९९ ३०० ३०२ ३०३ ३०४ ३०७ ३०९ [शास्त्रात विषयानुक्रमः विषय दिगम्बर की ब्रान्ति का सूचन दिगम्बरो अनुमान का निरसन हेतु में संदिग्धविपक्षव्यावृतिदोष पूर्वश्रुत के अध्ययन के विना मोक्षाभाव- पूर्वपक्ष मायाबहुलता के कारण सकल श्री में मुक्तिनिषेध अनुचित पूर्वश्रुत अध्ययन विना भी मोक्षप्राप्ति- उत्तरपक्ष ३१२ स्त्रीत्व चारित्राभाव का प्रयोजक नहीं ३१३ संघ की चनुविधता के उच्छेद की आपत्ति अपरिहार्य पृष्ठ ३०९ ३१० ३११ न्याययुक्त इन्द्रादिकृत भक्ति अनुकरणीय श्री कल्याण का भाजन स्त्रीमुक्तिसाधक अनुमान प्रयोग ग्रन्थकृत्प्रशस्तिः परिशिष्ट १ परिशिष्टः २ परिशिष्टः ३ ३११ ३१६ ३१.७ श्री चारित्रोत्कर्ष का विरोधी नहीं ३१६ प्रचलकर्मता श्री- पुरुष साधारण जिनकल्पी मुनियों की जिनकल्प प्रवृत्ति का उच्छेद संभव नहीं सममनरकप्रापक अध्ययसाय का अभाष अकिंचित्कर स्त्री में ऊर्ध्वाधोगसिवैषम्य का प्रयोजक कारणप्रेभ्य arrestees में स्त्रीवृतित्वाभाव का साधन दुष्कर freeभिन्नरूप स्वरूपयोग्यता का समर्थन ३२२ पुरुष से अनभिवन्यत्व का निरसन ३२३ चतुर्विधसंघस्वरूप तीर्थ में बी प्रवेश ३२४ भगवान् की खाभूषण में पूजा ३१४ ३१८ ३१९ ३२० ३२१ ३२४ ३२५ ३२५ ३२६ ३२९ ३३१ ३३५
SR No.090423
Book TitleShastravartta Samucchaya Part 9 10 11
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorBadrinath Shukla
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy