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पृष्ठांक विषय
पृष्ठांक विषय २४ सुवर्ण को घटादिवियत से अतिरिक्त क्यों ! २७ जस्पति के पूर्व ग्यारमना घटसत्ता स्वीकार माना माय?
हा प्रसंग २५ सुवर्णस्वसामान्यानुभव से शोकाभाव को । २७ को पिण्ड के मप्प सामान्य के उपलाम को ___ अनृपति
आपत्ति २५ घर-मुकुट दोनों के बाहक को शोक-हर्षयुगल ३९ भिन्न पिडों में एक-अनेक स्वभाव जाति की की प्रापति अशक्य
वृत्ति असम्भव २६ रूपमेव से प्रवृत्ति होने पर भी शोक-हर्ष की
४० कुमारीलमट्टकृत सामाग्यनिरूपण का निरसम प्रनापत्ति
४२ कापंतादि के प्रबच्छेवकसया आसि सिसि २६ अनेकात भी प्रकारत से उपश्लिष्ट है।
श्राक्ष २६ एक साथ एक मनुष्य को शोकादि आपत्ति
४३ सोकर्म जाति में बाधक नहीं हो सकता
का निवारण ४४ घरव जाप्तिस्वरूप कसे होगा? २८ वहीं-युग्ध और गोरस के दृष्टारत से अमेका
४४ पृथ्वीस्व को विभिन्न मानने में कोई आपत्ति
तसिद्धि २८ प्रस्पमिता से गोरत हप्य की सिसि
४५ पररव को विभिन्न मामले में बाधक २६ मसिरित नित्य सामाग्यवाय की परीक्षा का ४५ संयोग और अन्याय के सामान्य कार्य
मारगामी शंका और उत्तर १० नित्यत्वरित लक्षण में प्रमाप्ति
४६ अवयव पृषक होने पर घटोत्पत्ति गायन .. श्यामादि का उत्पावानुभव प्राप्त होने की
होने को शंका और उत्तर
शंशा ४६ खडकपाल में कपाल मानना मावश्यक ३. खंघदवह प्यामाविघटकाचवाव प्रामाणिक
४७ पटरब विभिन्न होने का पायिक कुरा समर्थन ३१ सामान्य को भनित्य मानने में स्वरूपहानि
४७ पृथ्वीस्थानि संकोग घाययाति की सिद्धि को आपत्ति का प्रतिकार | ४ शक्तिविशेष, प्रमावविशेष या घटकुर्वपरव २१ उपाधिमन्तर्गस जाति से अनुगस व्यवहार
भाषिका मापारन का समर्थन भवाक्य ४८ अनुभव के बल से कार्यकारणभाव की उप३२ जाति में एकस्व की संख्याविरूप में अनुपपति
पति में स्याहार १३ एकवेश या पूर्णरूप से आधष में सिसा | ४८ घनस्व-चण्डस्व अथवा पृथ्वोत्व एकत्वंगत जाति का असम्भव
है पूर्वपक्ष ३५ सामान्य में फास्न-एकवेश विकल्पों का असं- ४९ पृथ्वोत्र को एकत्लगस मामले में अधिक गुण
भव नहीं है | ४ एकरमवृत्ति माने या रूपत्ति माने इस में ५४ प्रसंग या स्वतन्त्रताषन के विकल्पाय का
विमिगमक निराकरण | ५० एकस्वभानामावशा में भी घटस्य का मान १५ प्रत्येक घर में धनरव को पर्याप्ति के बस से :
__ सभव उसरपक्ष मेवापति | ५०शिष्टयनामक सम्बन्ध मे जासिमान अमाव ३३ नातिका व्यक्ति के साथ सम्मान वुधंद
की सिवि