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[ शास्त्रवा० स्त० ५ श्लो० २८.२९
'यथास्ते' [ का. २० ] इत्यादावाहमृलम्-दृष्टान्तमानतः सिद्धिस्तदत्यन्तविधर्मिणः ।
न च साध्यस्य यत्तेन शब्दमात्रमसावपि ॥२८॥ दृष्टान्तमात्रात् परपरिभाषितान 'आस्ते' 'शेते' इत्यादेस्तत्र तन्क्रियाकतु : अत्यन्तविधर्मिणः-नानाधर्मानुविद्धान , न च साध्यस्य-चोधमात्रस्य सिद्धिः, यत् तेनासावपिउक्तदृष्टान्तोऽपि शब्दमात्रं-न तु लक्षणयुक्त इति यत्किश्चिदेतत् ।। २८ ॥
विज्ञानवादी को प्रोर से दृष्टान्त शब्द से अभिहित आसनशयन आदि क्रिया के कर्ता देवदत्त के सादृश्य से शुद्ध अकर्मक बोघमात्र की सिद्धि की जो बात कही गयी वह उचित नहीं है क्योंकि उक्त क्रियाओं का कर्ता अनेक धर्मों से अनुविद्ध होने के कारण निर्धमंक बोधरूप साध्य से अत्यन्त विसदृश है । अतः उससे अभिमत बोध को सिद्धि विज्ञानवादी के लिये सम्भव नहीं है । जो विज्ञानयादी को ओर से आसनादि क्रिया के कर्ता को दृष्टान्त कहा गया है वह भी शब्दमात्र हो है, दृष्टान्त के लक्षण से वह युक्त नहीं है । क्योंकि दृष्टान्त ऐसा होता है जिसमें हेतु-साध्य दोनों वावी-प्रतिवादी उभय सम्मत हो । प्रकृति में बोध में निधर्मकत्व साध्यभूत है जो दृष्टान्तरूप में कहे गये उक्त क्रिया के कर्ता में नहीं है । अतः विज्ञानवादी का उक्त कथन अश्वित्कर है ॥ २८ ॥
२९धौं कारिका में विज्ञानवाद में जो सब से प्रधान दोष कहा जाता है उसका प्रदर्शन किया गया है
अत्रैव प्रधानदोषमाह-- मूलम्-किञ्च विज्ञानमात्रत्त्वे न संसाराऽपवर्गयोः ।
विशेषो विद्यते कश्चित्तथाचैतद् वृथोदितम् ॥२९॥ किञ्च, विज्ञानमात्रत्वे-ज्ञानाऽद्वयत्वे जगतोऽभ्युपगम्यमाने, संसाराऽपवर्गयोविशेषः कश्चिद् न विद्यते, ज्ञानमात्रस्योमयदशयोरविशेषात्, अधिकस्यापत्रगें प्राप्यस्याभावात्, भावे बाऽद्वैतव्याघातात् । तथा चैतद् पृथोदितं भवतामागमे- ॥ २६ ॥
जगत को प्रद्वितीय ज्ञानरूप मानने पर संसार और मोक्ष में कोई भेद नहीं हो सकता है। क्योंकि दोनों ही दशा में केवल ज्ञान ही विद्यमान है और उस ज्ञान में दोनों वशा में कोई अन्तर नहीं है । फलतः अपवर्ग [=मुक्ति] में संसार की अपेक्षा कुछ अधिक प्राप्तव्य नहीं रह जाता। यदि ज्ञान से अतिरिक्त किसी प्राप्य का अभ्युपगम किया जायगा तो ज्ञानाद्वयवाद का च्याघात होगा । निष्कर्ष यह है कि एकमात्र ज्ञान की ही सत्ता मानने पर बौद्ध प्रागम में मोक्ष के विषय में जो कुछ कहा गया है वह असंगत हो जायगा ॥२९ ।।
३०वीं कारिका में मोक्ष के विषय में बौडागम में क्या कहा गया है-इस बात का प्रदर्शन किया गया है