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* विषयवृन्दर्शिका *
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विषयः
स्तबक-५ १ व्याख्याकार का मंगलाचरण २ विज्ञानवादी योगाचार मत का प्रतिक्षेप २ अर्थाभाव में प्रत्यक्ष प्रमाणभूत नहीं ३ अनुपलब्धि प्रमाण होने की शंका ३ विज्ञानवाद में अनुपलब्धि दुर्घट ४ समनन्तर प्रत्ययान्यत्व का निवेश दुःशक्य ५ अनुपलब्धि की उपपत्ति का बायास व्यर्थ ६ योग्यता के स्वीकार में बाह्यार्थ सिद्धि । ६ बाह्यार्थ के अनुपलम्भक प्रत्ययों में योग्यता
दुर्घट ७ परस्वीकृत योग्यानुपलब्धि के अबलम्बन में
आपत्ति ६ अग्नहण से असत्त्व मानने में अतिप्रसंग ९ उदयनकृत योग्यता के निर्वचन में दोष १० अन्योन्याभावप्रत्यक्ष की आपत्ति का परिहार १० परिष्कार युक्त योग्यता का निवंचन १२ यत्किचित् सम्बन्ध से उपलम्भक समवधान
मानने में अतिप्रसंग १३ नयामिकों की ओर से योग्यता निबंचन १४ नंयायिकमत में ब्राह्मणत्वाभाव प्रत्यक्षापत्ति १४ अधिकरण घटित योग्यता की व्याख्या १५ पिशाचत्व प्रत्यक्षापत्ति का निवारण १६ अन्योन्याभाव प्रत्यक्ष के लिये अन्य रीति से
योग्यता की व्याख्या १६ पिशाचत्वानुपलम्भ अयोग्यता प्रयुक्त नहीं १६ ब्राह्मणत्वाभाव प्रत्यक्ष को अनापत्ति १७ भूतल में घटाभाव अयोग्यता की आपत्ति
का निवारण
विषयः १७ संयोगाभाव प्रत्यक्ष न होने की शंका का
वारण १८ अधिकरणघटितयोग्यता की व्याख्या में त्रुटि १६ द्रव्यचाक्षुष में आलोकसंयोगसामान्य हेतुता
की शंका १६ घटाकाशसंयोगाभाव में योग्यत्व की आपत्ति
का निवारण १६ प्रतियोगिसंनिकर्षविरह का निवेश व्यर्थ २० घटाभावभ्रम की अनुपपत्ति का दोष २० प्रतियोगि अंश में दोषनिवेश करने में गौरव मणिकारविरचित योग्यता लक्षण की
समीक्षा २१ लक्षणांश में उपलम्भापादन का निवेश व्यर्थ २२ परमाणु में पृथ्वीत्वाभावप्रत्यक्ष की आपत्ति २२ पक्षावृत्तिविशेषणवैशिष्ट्य का परिष्कार २३ प्रतियोगी उपलम्भक भेदघटित व्याख्या का
पूर्वपक्ष २४ आलोकनियतघटाभाव प्रत्यक्ष की आपत्ति
का बारण २५ लौकिक उपलम्भ विवक्षा में मापत्ति
उत्तर पक्ष २६ अलौकिक उपलम्भ विवक्षा में व्याप्यत्व का
असम्भव २७ भेद और संसर्गाभाव के ग्रह की भिन्न भिन्न
योग्यता की आपत्ति २७ अभावप्रत्यक्ष में भी महत्त्वादि की कारणता २७ बौद्धकृत विस्तृत समालोचना की समीक्षा २९ विज्ञान स्वसंवेद्य होने से बाह्यार्थ और ज्ञान
का अभेद-पूर्वपक्ष