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पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
४ ३२ तजनन
५ २ तखनन
७
१२ ६ छयुणुक
१६ ११ द्रव्याविषयक
२१
१३ चिन्तमणि
२४ ४ लपलम्भ
२७ स्वभावसिद्ध
३० सहितत्य
१२ निश्वतम् १६ प्रप्तो
१० ६ व्याप्यत्वकालिक व्याप्यत्व का सिल
२५ २१ व्याप्यत्वात् २७ १४ तत्कुत्रं ०
२८ १६ उपादन २८ २८ विषयतया १२ जिससे
३१
३२
२० 'शुक्ति
३५ २९ नुपद्यमानात्
३६ ७ दृष्टटयोः
ज्ञान
४६. ३४ ४७ १५ शब्दार्थ
१७ जिनमें
२१ आविधक २४ अशिक्त
५०
५१ १२ वागते
५६ १६ त्वामित्य'
५७ ३ यह
४ क्योंकि ३० कारण
५८ ५ ठीक है ६३ १५ भेदेन ६६ १ भव विरु
१६
शोधनीयम् (स्तवक ५-६ )
पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
८४ २४ पातात:
८५ २४ निर्वतते
१०४ १५ निवृत्त
१०५ १२ घटनिवृत्ति
११३ २४ मानना १४३ १ वदियो मुक्तिविशि
१४४ १९ अनुगमन १४५ २८ से कहा
१४६ २० न्याय
१५१ १८ अमान्य
१५४ १ प्रीतीति १५४ २४ निराकांश १६० ६ बेयररथयात् १७० २८ योगि ताक १७६ १८ होने से कि १६ जिससे
६८ १ सद्भाव ७१ १२ उभपचक्ष
शुद्ध
तज्जनन
तज्जनन
स्वभाव सिद्ध
सहितत्व
== निश्चितम्
प्राप्तो
घणूक द्रव्यविषयक
चिन्तामणि
उपलम्भ
ऽव्याप्यत्वात् तत्तत्कुर्य
उपपादन
विषयताया
जिससे
'शुक्ति में
दृष्टयो:
अज्ञान
'नुपपद्यमानत्वात् १८२ ९ पचिर
१८३ २५ पीतकाल
७
शब्द
जिन लोगों के मत में
आविद्यक
अशक्ति
त्वावगते
स्वमित्य
यह इसलिये
कि
दारण
ठीक नहीं है।
भेदेन
भवविरु
स्वभाव
उभयपक्ष
११० ९ तभिन्न
तन्निष्ट
का उत्पत्ति अणिवस्त्र
शुद्ध
पातत:
१०
१९३ ३०
१६६ १
१६८ १७ सत्तवम्
२०२ २५ यह
२०२ २५ (१)
२०२ २० (२)
२०३
(३)
२०३ २१ कुमारी २०७ १९ यदि यही
२०८ १४ नागार्जुन २१२ ५ [ १ तवैव ]
२१४ २३ तामानाप्य
निवर्त्तते
निवृत्ति
घट निवृत्ति
न मानना
वधियो
युक्तमिति
अनुगम न से यदि कहा
जंन न्याय
मान्य
प्रतीति
परिहार पीतकपाल
१८४ २४ नीलातकवत्वादि नीलत्वापी तत्वादि
तदभिन्न तनिष्ठ
की उत्पत्ति क्षणिकत्व
सत्त्वभू
ये
निराकांक्ष
वैयग्रघात्
योगिताक
होने से
जिससे कि
(A)
(B)
(c)
-कुमारी
यही
धर्मकीति
[ ? तथैव ]
तामनाप्य