________________ तृनीयस्तबके शुद्धिपत्रकम् पत्र/पक्ति भशुद्धं अमृद्धं शुद्ध धोगत्र-४) योगसूत्र {1-23) क्योकि क्योंकि पत्रपति 64/22 वर द्वारा 1/28 1/4 10/16 TIT सटि मृष्टि प्रमे 21/18 2014 3/10 श्वर तो जैसे न आत्मप्रवेश, प्रभा कारीका चतुर्थ a भाचा प्रशस्ति माकोक्ति पाठ धर्म प्रधान रा१३ E2/2 // के अष्ट से नही भारमप्रदेश प्रमा कारका चतुर्थ होवो (2) मापा प्रशस्त जोकोक्ति पाठ में धर्म प्रधान पुद्धि में बन्धः श्र ईइबर निम्म्यपण निरूपण याशन पोजन निस्याध्यापि. नित्या हपाप रिपरेका ईश्वरेष तसकारण सरकारण मच्छिश्रद्ध) वच्छिमानद गताऽकारगान० ला55कारनिय नुमति अनुमति सकती Y/1/2 86 18/10 104/27 113/ 120/18 12/2 बन्ध 4/25 मा सकती श्वा अन्यकर्म