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________________ विषयानुकमा पृष्ठांक विषय | प्रश्नांक १०४ मात्मा हीर-नीर न्याय से देहाभिन । १२० सांस्यसिमास में मी पुरुष का ही मोक्ष । ॥ युधि में पुरुष प्रतिबिम्ब से भोगोजगार मान्य है १०५ पुरुष बुद्धि के प्रतिबिम्ब से विकृतिका १२१ मांरूपमत में तथ्यांस सूचन प्रसंग । १ सरकार्यवाकविरोधी भूप १०६ आत्मसंनिधाम से भरकरण में औपाधिक । १२२ मत्कायेषाव में पूर्वोपलब्धि का प्रसंग वन्य १२३ प्रकृसियानोय कर्म से बन्ध भौर मोक्ष १-७ घुद्धि में पुरुषोपराग ही माल्मा का मोग । १२४ मूर्ग और अमू के अन्यान्य परिवर्शन की ॥ अमूर्त प्रात्मा का प्रतिविम्ब मसंगत १०८ छायाय न मायर मूर्त इष्य का प्रतिबिम्प १२४ मूर्म-अमुल परिवर्तन की उपपति , सर्पण से प्रतिविम्ब भिन्न है १२५ सांरूपमतमें देवात्म अविभाग की अनुपपास २०५ स्वतन्त्र प्रतिबिम्न द्रश्य की पति १२६ मन्योन्यानुगत में विभाग की अयुक्तता ११. भम्त द्रश्य के प्रतिषिय की माशका १. विषों के वाणान्तरविभाग अनुपतिकी १११ मसम पुरुषोपराग की उत्पत्ति में सस्कार्यबाद शंका का बिसय १२८ सम्मतिमन्म की चार कारिका और उसका ११२ मपरिणामी आस्मा प्रतिमिम्बोषयस्त्रमाव __नहीं हो सकता १. मून और ममत के सम्मान की पत्ति ११ नह-यात्म भेव पक्ष में प्रात्या की अनुषपत्ति १३. आम-विभुत्य की शंका का पतिार १९४ हत्या भास्म-मनासयोगनाशव्यापार रुप ११ भारम-विभुत्ववाद में सीर्धाटनादिकिया का मंग ११५ दिन्न भषयष में पृथक, भात्मप्रसंग का । १३२ प्रकृतिका की मापेक सत्यता का अनुमोदन निषारण १३३ मुसीयस्तबक का उपहार ११६ पन्ध विनापद्ध-मुक्त भेव की मनुस्पति १३४, , शोक का अकागरिकम ११५ प्रकृति के अग्ध और मोक्ष की का १३५ । टीका में उड़त मासिपाठ ११८ निम्य एकस्वरूप प्रकृति में पन्ध-मोम समय १२६ ॥ शुद्धिपत्र ११६ जीप काही प्रकृतिषियोगात्मक मोधरे। भर
SR No.090418
Book TitleShastravartta Samucchaya Part 2 3
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorBadrinath Shukla
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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