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- १२) सप्तभङ्गी नयप्रदीप- इस ग्रन्थ में अति संक्षेप से सप्तमङ्गी नया ७ नय का विवेचन किया गया है । .
१३) नयरहस्य- इस ग्रन्थ में नय के सामान्य लक्षण तथा ७ नयों का मध्यमकक्षा का विवरण है।
१४) न्यायालोक- इस में मोक्ष के स्वरूप आदि की सर्कपूर्ण विचारणा है। - १५) निशाभुक्ति प्रकरण- इस लघुकाय ग्रन्थ में । रात्रि भोजन स्वरूपत: दुष्ट है। इस का उपपादन किया गया है।
१६-१७) परमज्योति:पविशिका- परमात्मपञ्चविशिका- विषय - परमात्मस्तुति । -- १८) प्रतिमास्थापनन्याय- इस में प्रतिमापूज्यत्व का व्यवस्थापन किया गया है । . १९) प्रमेयमाला यह ग्रन्थ विविध वादों का संग्रह है।
- २०) मार्गपरिशुद्धि- इस ग्रन्थ में हारिभद्रीय 'पंचवस्तु शास्त्र के साररूप मोक्षमार्ग की विशुद्धता का सुन्दर प्रतिपादन है । .. २१) यतिदिनचर्या- जैन साधुओं के दैनिक आचार का वर्णन इस ग्रन्थ में है।
२२) यतिलक्षणसमुच्चय-- इस प्रन्थ में भावसाधुता के लक्षणों का वर्णन है ।
२३) वादमाला (१)- इस में १) चित्ररूपविचार, २) लिगोपहितलैङ्गिकभान, ३) द्रव्यनाशहेतुताविचार, ४) सुवर्णात जसत्व, ५) अन्धकारद्रव्यत्व, ६) वायस्पार्शनप्रत्यक्ष, ७) शदानित्यत्व इन ७ वादों का निरूपण है ।।
२४) पादमाला (२)- इस में १) स्वत्ववाद, २) संनिकर्षवाद इन दो वादों का निरूपण है।
२५) वादमाला (३)- इस में १) बस्तुलक्षणविवेचन, २ सामान्यवाद, ३) विशेषवाद, ४) इन्द्रियवाद, ५) अतिरिक्तशक्तिवाद और ६) अदृष्टवाद इन छ वादों का निरूपण है ।
- २६) विजयप्रभसूरिस्वाध्याय- इस में गच्छनायक श्री विजयप्रभसूरिजी का नर्कभित स्तुति की गई है।
. २७) विषयतावाद-- इस में विषमता, उद्देश्यता, आपाद्यता आदि का निरूपण है। .. २८) मिसहस्रनामकोश-- भगवान् के १००८ नाम का संग्रह इस ग्रन्थ में है ।
- २९) स्याद्वादरहस्य पत्र- 'स्वभात' नगर के पण्डित गोपालसरस्वती आदि पण्डितवर्ग पर प्रेषित पत्र है जिस में संक्षेप से 'स्यावाद' को समर्थक. युक्तियां का प्रतिपादन है।
-३०) स्तोत्रावली- इस में आदीश्वर, पाश्वनाथ और महावीरस्वामी भगवान के विविध ८ स्तोत्र है।