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॥ श्रीः ॥
चौखम्भा प्राच्यविद्या प्रन्थमाला
७
महत्तरा - १४४४ शास्त्रसूत्रधार आचार्य पुरन्दर श्रीमद् हरिभद्रसूरि-रचित
शास्त्रवार्त्ता समुच्चय
तथा
न्यायविशारद-न्यायाचार्य विद्वन्मूर्धन्य - महोपाध्याय
श्री यशोविजयकृत स्याद्वाद कल्पलता ( उक्त ग्रन्थ की व्याख्या) का
हिन्दी विवेचन (स्तबक - १)
हिन्दी विवेचनकार :आचार्य श्री बदरीनाथ शुक्ल
न्याय - वेदान्ताचार्य, एम. ए. भू० पू० प्रथम अध्यापक एवं प्राचार्य राजकिय संस्कृत कालेज, बनारस
तथा
आचार्य तथा अध्यक्ष. न्या० दे० विभाग, सम्पूर्णानन्द - संस्कृत – विश्वविद्यालय, वाराणसी
• स्वाध्यायान्मा है
KHAM BHA
अमदत
स्व० श्रीमद्विजयप्रेमसूरीश्वरजी महाराज
के पटालङ्कार न्यायदर्शनतत्त्वज्ञ - जैनाचार्य
श्रीमद्विजयभुवनभानुमूरीश्वरजी महाराज
RANASI
ORIENTALIA
4875
हिन्दी विवेचन - अभिवीक्षक:
सिद्धान्तमहोदधि - आचार्यवर्य
चौखम्भा ओरियन्टालिया
प्राच्यविद्या तथा दुर्लभ ग्रन्थों के प्रकाशक एवं विक्रेता पो० आ० चौखम्भा, पो० बाक्स नं० ३२ गोकुल भवन के० ३७/१०९, गोपाल मन्दिर लेन
वाराणसी - २२१००१ ( भारत )