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________________ [ धर्म एवं आवार शास्त्र ४३२ प्रति नं० ४ । पत्र ० ११२ | साइज - १०x३६ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १९८४ | विशेष – संस्कृत में टीका भी हैं। १६ ४३३ प्रति नं० ५ | पत्र सं० २२६-४३१ | साह - ११४५ इ लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० १२८५ | विशेष – प्रति सटीक है। टीकाकार अपराजितसूर हैं। टीका संस्कृत में हैं। टीका का नाम विजयोदया है। - ४३४ भगवती आराधना भाषा पं० सदासुखजी कासलीवाल | पत्र [सं० ८०४ | साइज - ११३४५६ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय-धर्म भाषाकाल - १६०= भादवा सुदी २ | लेखनकाल - सं० १९०८ सामान्य | वेष्टन नं ० .१२७६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा विशेष – प्रति स्वयं भाषाकार के हाथ की लिखी हुई प्रथम प्रति है । ४३५ प्रति नं० २ । पत्र [सं० ४७५ | साइज - ११ इन्च । लेखनकाल - सं० १६१० । अपूर्ण प्रारम्भ के ३३१ पत्र नहीं है | सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | बेटन नं० १२७७ | ४३६ प्रति नं ३ | पत्र सं० ४८३ १११ से १२० तक के पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध साइज - १२०-१ : | लेखनकाल - सं० देशा- सामान्य । वेष्टन नं० १२७८ । १०० = ! अपूर्ण - ४३७ प्रति नः ४ पत्र सं० २०९ | साइज - ११७३ इव । लेखनकाल । अपूण प्रारम्भ के १ से १०० तथा २=१ से आगे के पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२७२ | ४३५ प्रति नं० ५ । पत्र सं० २३२ साइज - ११८ इव । लेखनकाल । श्रपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२०० । ४३६ भावदीपक - जोधराज गोदी का पत्र सं० १५ | साइज - १x६ इव । माषा - हिन्दी-गद्य | विषय - धर्म । रचनाकाल-सं० १८१७ | लेखनकाल - सं० १८५७ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जी ! वेष्टन नं० ११५ । ४४० प्रति नं २ | पत्र सं० ४६ | साइज - १०३३ इस । लेखनकाल X | अपूर्ण श्रन्तिम पत्र नहीं | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३३६ | ४४२ प्रति नं० २ । पत्र ०६ | साइज सामान्य | वेष्टन नं० १३४३ । ४४१ भावसंग्रह - वामदेव | पत्र [सं० ३६ | साइज - १०४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म | रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३४२ । ४३ | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा ४४३ प्रति नं० ३ | पत्र सं० १६-४३ | साइज - १०३x४३ इश्व । लेखनकाल X | यपूर्ण फुटकर पत्र है । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३४४ । ४४४ प्रति नं० ४ | पत्र सं० ४३ | साइज - ११४५ इस । लेखनकाल- सं० १६४३ मादवा सुदी
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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