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________________ का एक धनुष, २००० धनुष का एक कोश, और ४ कोश का एक बोजन होत। है। २००० कोश का एक महायोजन होता है। स्कन्ध के भेद... स्कन्ध ६ प्रकार का है-वादर बादर, २-बादर, ३-चादर सूक्ष्म, ४-सूक्ष्मबादर, ५-सूक्ष्म, ६-सूक्ष्म सूक्ष्म । जिन वस्तुओं के अलग अलग टुकड़े हो सके जैसे लकड़ी पत्थर आदि पार्थिव (पृथ्वी जन्य) पदार्थ बादर वादर हैं । जल दूध आदि पदार्थ अलग करने पर भी जो फिर मिल जाते हैं वे बादर हैं। जो नेत्रों से दिखाई दे किन्तु जिसे पकड़ न सके, जिसके टुकड़े न किये जा सकें , वे बादर सूक्ष्म हैं जैसे छाया । नेत्र के सिवाय चार इन्द्रियों को निगा ( ध, ६, का माद : स्पर्श ) जो दिखाई नहीं न दे सकें वे सूक्ष्म बादर है, जैसे शब्द, वायु, सुगन्ध दुर्गन्ध । जो स्कन्ध किसी भी इन्द्रिय से न जाने जा सके वे सक्षम है जैसे कार्माण स्कन्ध ! परमाणु को सूक्ष्म सूक्ष्म कहते हैं। परमाणु को सर्वावधिज्ञान तथा केवल ज्ञान जान सकता है। स्निग्ध ( चिकना ) तथा रूक्ष गुण के कारण परमाणुओं का परस्पर में बन्ध होकर स्कन्ध बनता है । बन्ध होनेवाले दो परमाणुमों में से एक में स्निग्ध था स्या गुण के दो अविभाग प्रतिच्छेद अधिक होने चाहिए । पुद्गल द्रव्य की १० पर्यायें होती हैं--१-शब्द, २-अन्ध, ३-सूक्ष्मता, ४-स्पूलता, ५-संस्थान (प्राकार), ६-भेद (टूटना टुकड़े होना), ७-अन्धकार, ८-छाया, ह-उद्योत (शीत प्रकाश) १०-प्रातप (उष्ण प्रकाश)। प्राफाश के दो भेद हैं-१-लोकाकाश, २-अलोकाकाश । प्राकाश के बीच में लोक ३४३ धनराजु प्रमाण, १४ राजु कंचा है, उत्तर से दक्षिण को सब जगह ७ राजु मोटा है, पूर्व से पश्चिम को नीचे ७ राजु चौड़ा, फिर घटते घटते ७ राजु की ऊंचाई पर एक राशु चौड़ा, उससे ऊपर कम से बढ़ते हुए साढ़े तीन राजु की ऊंचाई पर पांच राजु चौना, फिर वहां से घटते हुए ३।। राजु की ऊंचाई पर एक राजु चौड़ा रह गया है। मीचे के सात राजु में अधोलोक है। उसके ऊपर सुमेरु पर्वत की ऊंचाई (६ हजार योजन ) तक मध्य लोक है उसके ऊपर ऊर्ध्व लोक है। लोकाकाश में १४ राजु ऊंची, एक राजु लम्बी चौड़ी त्रस नाली या अस नाड़ी है, इसमें त्रस स्थावर जीव रहते हैं उससे बाहर केवल स्थावर जीव रहते हैं, स जीव नहीं रहते । पुदगल, धर्म, अधर्म, काल, जीव द्रव्य लोकाफाश में ही रहते हैं
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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