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________________ ( २०६ ) देखकर अत्यन्त झाश्चर्य करना ५ और दानादि में संकोच करना; यह परिग्रह परिमाण भणुव्रत के ५ अतिचार हैं ? गुरग व्रत के अतिचार (१) पहाड़ टेकड़ी आदि पर, अथवा आकाश में (ऊर्व दिशा में) इतने गज या इतने धनुष चढेंगे आदि का जो नियम किया हो (२२) तथा खान, पानी आदि में इतने नीचे उतरेंगे, इससे अधिक नहीं जायेंगे इस प्रकार जो मर्यादा की हो, उस मर्यादा से बाहर अपने को कभी लाभादि होने पर चले जाना और लाभ के लालच में पड़ कर उस मर्यादा को उल्लंघन करना (३) पूर्व प्रादि पाठों दिशाओं की मर्यादा का उल्लंघन करना (४) इतनी दूर जावेंगे इस प्रकार जो मर्यादा की है उसको लाभ अधिक होता देख कर बढ़ा लेना, (५) की हुई मर्यादा को भूल जाना; ये पांच दिग्वत के अतिचार हैं। [१] मर्यादा किया हुअा जो क्षेत्र है, उसके बाहर से चीज को मंगाना, [२] मर्यादित क्षेत्र से बाहर नौकर आदि भेज कर काम कराना, [३] मर्यादा के बाहर अपनी ध्वनि के द्वारा यानी आवाज देकर सूचना देना, [४] अपनी मर्यादा के बाहर कंकड़ी आदि फेंक कर संकेत करना, [५] अपनी मर्यादा के बाहर अपना शरीर दिखाकर, इशारा आदि करके काम कराना रूपानुपात है। इस प्रकार ये पांच देशवत के अतिचार हैं। १-कन्दर्प-हंसी मजाक को राग-उत्पादक बातें करना, २-कौत्कुच्यशरीर की कुचेष्टा बनाकर हंसी मजाक करना, ३-मौखर्य--व्यर्थ बोलना, बकवाद करना, ४-ग्रसमीक्ष्याधिकरण--विना देखे भाले, बिना सम्भाले हाथी घोड़े रथ मोटर प्रादि वस्तुएं रखना, ५-भोगोपभोगानर्थक्य-भोग उपभोग के व्यर्थ पदार्थों का संग्रह करना, ये पांच अतिचार अनर्थदण्ड व्रत के हैं। शिक्षा व्रत के अतिचार सामायिक के अतिचार-१ मनःदुःप्रणिधान-सामायिक करते समय अपने मन में दुर्भाव ले आना, २-वचनदुःप्रणिधान-सामायिक के समय कोई दुर्वचन कहना, ३-कायदुःप्रणिधान-सामायिक में शरीर को निश्चल न रखकर हिलाना, डुलाना, ४-अनावर अचि से सामायिक करना, ५-स्मृत्यनुपस्थान सामायिक पाठ, मंत्र जाप आदि भूल जाना। ये सामायिक शिक्षा व्रत के ५ अतिचार हैं। प्रोषधोपवास के अतिचार-१ उपवास के दिन जीव जन्तु बिना देखे
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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