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________________ ( १३८ ) चन्द्र अनेक प्रकार की द्रव्य प्राप्ति, तीसरा चन्द्र लक्ष्मी, सुख प्राप्ति, चौथा चन्द्र देह पीड़ा रोग यादि को, पांचवां चन्द्र पराजय, असफलता, छठा सातवां चन्द्र धन सम्पत्ति लाभ को, आठवां चन्द्र रोग को नौवां चन्द्र राजकीय आपसि को, दशवां ग्यारहवां चन्द्र अनेक प्रकार के सुख तथा लाभ को, बारहवें स्थान का चन्द्र द्रव्य नाश तथा श्रापत्तियों को सूचित करता है । मंगल का विचार - प्रथम स्थान का मंगल शत्रु भय को सूचित करता है। दूसरा मंगल नाश को, तीसरा मंगल व्यापार उद्योग में द्रव्य प्राप्ति को, चौथा मंगल शत्रु की वृद्धि को पांचवां मंगल रोग पीड़ा को छला अनेक प्रकार के धन लाभ को, सातवाँ मंगल देह निर्बलता तथा द्रव्य नाश को, आठवां मंगल विरोधियों के भय तथा पाप फल को नौवां मंगल अनेक प्रकार के उपद्रव तथा पीड़ा को, दशवां ग्यारहवां मंगल धन लाभ तथा सुख शान्ति को तथा बारहवें स्थान का मंगल नाश को सूचित करता है । बुध का फल - पहले स्थान का बुत्र भय का सूचक है, दूसरे स्थान का बुध व्यापार उद्योग आदि में धन प्राप्ति, तीसरा बुध क्लेश, भय को, चौथा बुध द्रव्य प्राप्ति, पांचवां बुध रोगादि पीड़ा तथा मनोव्यथा को छठा बुध लक्ष्मी समागम को, सातवां बुध शरीर पीड़ा को साठवों बुध अनेक प्रकार के धन लाभ को, नौवां बुध रोग को, दशवां बुध अनेक प्रकार के सुख भोग को, ग्यारहवां बुध अनेक प्रकार की द्रव्य प्राप्ति तथा सुख को, बारहवें स्थान का बुध अनेक प्रकार से J द्रव्य व्यय तथा शारीरिक रोग को सूचित करता है । गुरु का फल - पहले स्थान का गुरु शत्रु द्वारा भय का सूचक है, दूसरा गुरु व्यापार आदि में द्रव्य लाभ, तीसरे स्थान का गुरु विविध प्रकार के कष्टों को, चौथा गुरु व्यापार उद्योग में हानि को पांचवां गुरु अनेक प्रकार के लाभ तथा सुख को, छटा गुरु अनेक प्रकार के मानसिक रोग श्रादि को, सातवां गुरु समस्त जनता द्वारा सम्मान तथा सुख को, आठवां गुरु अनेक प्रकार की शरीर-व्याधि तथा द्रव्यहानि को नौ गुरु अनेक प्रकार की मर्यादा ( सन्मान ) तथा धन धान्य की वृद्धि को, दशवां गुरु साधारण सुख शान्ति को, ग्यारहवां गुरु ग्रनेक प्रकार के - धन धान्य के लाभ को तथा बारहवें स्थान का गुरु अनेक प्रकार की पीड़ा तथा द्रव्य हानि को सूचित करता है ।
SR No.090416
Book TitleShastrasara Samucchay
Original Sutra AuthorMaghnandyacharya
AuthorVeshbhushan Maharaj
PublisherJain Delhi
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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