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इनके पढ़ने का क्रम
चार चार अक्षरों का एक-एक नक्षत्र बनाते हुए उपयुंक ११२ अक्षरों के २८ नक्षत्र हो जाते हैं।
लग्नाधिपति और लग्न प्रमाण घड़ी का कोष्ठक
लग्नाधिपति ! कुज शुक्र | बुध चन्द्र | रवि | बुध
लग्न मेष वृष | मिथुन' कर्क | सिंह कन्या प्रमाण घड़ी ४.० ४।३०५।१५।४।३० ५।३० ५।१५ लग्नाधिपति शुक्र , कुज गुरु | शनि | शनि | गुरु
लग्न · । तुला वृश्चिक धनुष मकर कुम्भ मीन |प्रमाण पहा ९५ ५:३० ३.० ५.१ ५.
इस कोष्ठक के अनुसार किसी भी नाम का नक्षत्र और चरण को ठीक तरह से जान लेने पर किस नक्षत्र की कौन सी राशि होती है इस विषय को निम्नलिखित श्लोक द्वारा दिखाया जाता है
अश्विनीभरणीकृतिकाः पादेषु मेयः कृतिका त्रयपादा रोहिणी मृगशिरार्द्ध वृषभः । मृगशिरद्विपादा पुनर्वसुत्रिपावेषु मिथुनः पुनर्वस्वेकपादा पुष्याश्लेषान्तेषु काटकः । मघा पूर्वोत्तरकपादेषु सिंहः उत्तरात्रिपादहस्तनित्राद्धेषु कन्या । चित्रार्द्धस्वातिविशाखात्रिपादेषु तुला विशाखैका दानुराधाज्येष्वान्तवृश्चिक: मूलपूर्वाषाढ़ोत्तराषाढकयादेषु धनुः ऊतराषाढाभिषादश्रवरगधनिष्ठाद्धेषु मकरः ।