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शासन-चतुर्विंशिकागत विशेषनामसूची [५५ అe00000000 प्रगट हुआ। सम्भवतः इसी अतिशयके कारण प्राकृतनिर्वाणकाण्ड'
और अपभ्रश निर्वाणभक्ति में उसकी वन्दना की गई है। अतएव इन सब उल्लेखादिकोसे ज्ञात होता है कि मालवाके मालपुरके अभिनन्दनदेवकी महिमा लोकविश्रत रही हैं और वह एक पवित्र अतिशयतीर्थ रहा है । यह तीर्थ भी पाठ-सौ वर्ष से कम प्राचीन नहीं है।
इस तरह इस संक्षिप्त स्थानपर हमने कुछ ज्ञात अतिशय तीर्थों और सातिशय जिनविम्झेका कुछ परिचय देनेका प्रयत्न किया है । जिन अतिशय तीर्थों अथवा सातिशय जिनविम्बौका हमें परिचय मालूम नहीं हो सका उन्हें यहाँ छोड़ दिया गया है। आशा है पुरातत्व प्रेमी उनकी खोज कर यथास्थानादिका परिचय देंगे।
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शासन-चतुस्त्रिंशिकागत विशेषनामसूची
- चाक अभिनन्दनजिन २४ छायापार्श्वविभु १२ अर्ककीर्तिनपति
५ जैनपुर अवरोधनगर
२० दक्षिगोम्मट आदिजिनेश्वर १३ दिगम्बर कपिल
८ देवेन्द्र कैलास
२ देवेश्वर गिरिवर (गिरनार) १४ धारा चन्द्रप्रम
१२ नर्मदा चम्पा
१५ नागफली १ पास सइ अहिणंदण णायद्दहि मंगलाउरे बंदे।'-गाथा २० । २ मंगलबुरि वंदनं जगफ्यासु, अहिणंदणु जिणु गुणगणरिणवासु ।'