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शासन चतुस्लिंशिका [५३ అం9699999009800
छाया-पाव प्रभु इस तीर्थका मुनि मदनकीति, जिनप्रभमूरि और मानवसंहिताकार शान्तिविजय इन तीन विद्वानोंने उल्लेख किया है। मदनकीर्तिने उसे सिद्धशिलापर और जिनप्रभसूरि' तथा शान्तिविजयने माहेन्द्रपर्वत और हिमालय पर्वतपर बतलाया है। आश्चर्य नहीं मदनकीर्तिको सिद्धशिलासे माहेन्द्रपर्वत अथवा हिमालय ही विवक्षित हो । यदि ऐसा हो तो कहना होगा कि माहेन्द्रपर्वत अथवा हिमालयपर कहीं यह तीर्थ रहा है और वह छायापार्श्वनाथतीर्थके नामसे प्रसिद्ध था । मालूम नहीं, अब उसका कोई अस्तित्व है अथवा नहीं ?
अवरोधनगर-मुनिसुव्रतजिन मुनि मदनकीर्तिके लेसानुसार अवरोधनगरमें, प्राकृतनिर्वाणकाण्डकारके' कथनानुसार प्रशारम्यनगरमें, मुनि उदयकीर्तिके' उल्लेखानुसार आश्रममें और जिनप्रभसूरि', मुनि शीलविजय तथा शान्तिविजयके वर्णनानुसार प्रतिष्ठानपुर में गोदावरी (वाररागमा के १ 'माहेन्द्रपर्वते छायापाखनाया 1हिमाचले छायापान मन्त्राधिराब:
श्रीस्फुलिंगः।'- विविधतीर्थकल्प पृ०६ । २ 'माहेन्द्रपर्वतमें लायात्रार्थनाथका तीर्थ है। हिमालय पर्वतमें छाया पार्श्वनाथ मन्त्राधिराज और स्फुलिग पार्श्वनाथका तीर्थ है। मानव
धर्मसंहिता पृ० ५६६-६०० (वि० सं० १६५५ में प्रकाशित संस्करण) । ३ देखो, प्रा- नि० का० गाथा २०। ४ देग्यो, अपभ्रशनिर्वाण भक्ति
गा. ६ । ५ देखो, विविधतीर्थकल्प पृ. ५E | ६ तीर्थमाला । ७ मानवधर्मसंहिता पृ. ५६६ | ८ प्रेमीजीने लिखा है कि इसका वर्तमान नाम पैठण है जो हैदराबादक आमाबाद जिलेकी एक तहसील है (बैन सा० ओर इति० पृ. २३८का फुटनोट)।