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शासन - चतुस्त्रिंशिका
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परिशिष
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शासन चतुस्त्रिशिका में उल्लिखित तीर्थ और उनका कुछ परिचय
इस शासनचतुस्त्रिंशिका में जिन तीर्थों एवं सातिशय दिगम्बर जिनबिम्बों का उल्लेख हुआ है वे २६ हैं। उनमें दतो सिद्धतीर्थ हैं और १८ अतिशयतीर्थ हैं। उनका नीचे कुछ ऐतिहासिक परिचय दिया जाता है । सिद्धतीर्थ
जहाँ से कोई पवित्र आत्मा मुक्ति अथवा निर्वाण प्राप्त करता है उसे जैनधर्ममें सिद्धतीर्थ कहा गया है। इस पुस्तकमें इसके रचयिता यतिपति मदनकीर्त्तिने ऐसे ८ सिद्धतीर्थंका सूचन किया है। वे ये हैं:
१ कैलासगिरि, २ पोदनपुर, ३ सम्मेदशिखर (पाश्र्वनाथहिल), ४ पाषापुर, ५ गिरनार (जर्जयन्तगिरि), ६ चम्पापुरी, ७ विपुलगिरि और ८ विन्ध्यगिरि ।
१. कैलासगिरि
भारतीय धर्मो विशेषतः जैनधर्ममें कैलासगिरिका बहुत बड़ा महत्व लाया गया है। युगके आदिमें प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ ने यहाँ से मुक्ति-लाभ किया था। उनके बादमें नागकुमार, चाति और महाबालि आदि मुनिवरोंने भी यहीसे सिद्ध पद पाया था । जैसा कि विक्रमकी छठी शताब्दीके सुप्रसिद्ध विद्वानाचार्य