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________________ (शान्तिसुधासिन्धु ) उ.-शान्त्यर्थमेवं हि जपस्तपश्च व्रतोपवासोपि समो दमादिः । स्वाध्यायमौनार्थनदानधर्मः सुखप्रदो ध्यानविधिः पवित्रः॥ क्षमाकृपाधैर्यदयाप्रचारः स्वर्मोक्षदा स्यात्ममतिः स्वचर्चा। तत्त्वोपदेशो विकृते विरागः स्वास्तिक्यबुद्धिः परलोकवार्ता॥ बिम्बप्रतिष्ठा गुरुदेवसेवासन्मानसत्कारनतिः स्तुतिश्च । निजात्मशुद्धिः क्रियते च भक्तिः ज्ञात्वेति नित्यं यततां तदर्थम् । अर्थ- इस संसारमें जो जप वा तपश्चरण किया जाता है, अथवा व्रत-उपवास किये जाते हैं, रामता धारण की जाती है, वा इंद्रियदमन किया जाता है, स्वाध्याय किया जाता है, मौन धारण किया जाता है। भगवान् जिनेंद्रदेवकी पूजा की जाती है, पात्रदान दिया जाता है, वा धर्मसाधन किया जाता है, सुख पाक्षि यान किया जाता है, क्षमा, कृपा, धीरता, दया आदि आत्माके गुणोंका प्रचार किया जाता हैं, स्वर्ग-मोक्ष देनेवाली अपने आत्माकी बुद्धि अपने आत्मामें लीन की जाती है, वा आत्मतत्वकी चर्चा की जाती है, तत्त्वोंका उपदेश दिया जाता है, राग-द्वेश आदि विकारोंका त्याग किया जाता है, अपने आत्मामें आस्तिक्य बुद्धि रक्खी जाती है, परलोककी चर्चा की जाती है. बिम्वप्रतिष्ठा की जाती है,वा निग्य गुरुकी सेवा, सन्मान आदर-सत्कार किया जाता है, उनको नमस्कार किया जाता है, वा उनकी स्तुति की जाती है, अपने आत्माकी शुद्धि की जाती है, बा भगवान जिनेंददेवकी भक्ति की जाती है, यह सब अपने आत्मामें शांति प्राप्त करने के लिए की जाती है । यहि समझकर शांति प्राप्त करनेके लिए जप, तप, आदि करने के लिए सदाकाल प्रयत्न करते रहना चाहिए। भावार्थ-- जप करने में आत्माको निराकुलताकी प्राप्ति होती है, तथा निराकुलताही शांति है। ध्यान और तपश्चरण करने में भी मंसारके सब झंझट छुट जाते हैं, और आत्मा निराकुल हो जाता है। व्रत करनेक दिन सब सांसारिक व्यापारोंका त्याग कर, भगवान जिनेद्रदेवके गणों में मन लगाया जाता है, वा स्वाध्यायमें मन लगाया जाता है, इसलिए व्रत करने में भी शांति प्राप्त होती है। उपवास के दिन संसारके समस्त आरंभ वा व्यापारका त्याग कर जिनालय में निवास किया जाता है।
SR No.090414
Book TitleShantisudha Sindhu
Original Sutra AuthorKunthusagar Maharaj
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages365
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size8 MB
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