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HARAPES
बाईसवा अधिकार आलापाधिकार
सुरनर गणपति पूज्यपद, बहिरतर श्री धार ।
नेमि धर्मरथनेमिसम, भनौं होहु श्रीसार ॥२२॥ पागं पालाप अधिकार को अपने इष्टदेव को नमस्कार पूर्वक कहनेकौं प्रतिज्ञा
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है। गोयमथेरं पणमिय, श्रोधावेसेसु वीसभेदाणं ।. . ...
जोजणिकाणालावं, वोच्छामि जहाकम सुणह ॥७०६॥ . : ..
गौतमस्थविरं प्रणम्य, प्रोधादेशयोविंशभेदानाम । ...
योजनिकानामालाप, वक्ष्यामि यथाक्रमं शृणुत ॥७०६॥ टीका - विशिष्ट जो सो कहिए भूमि, आठवीं पृथ्वी, सो है स्थविर कहिए सास्वती, जाके असा सिद्धसमूह, अथवा गौतम है स्थविर कहिए गणधर जाके जैसा वर्धमान स्वामी प्रथवा विशिष्ट है गो कहिए वाणी जाकी असा स्थविर कहिए मुनिसमूह, सो असे जु गौतम स्थविर ताहि प्रणम्य नमस्कार करिके प्रोघ जो गुणस्थान अर प्रादेश. जो मार्गणास्थान, इनिविर्षे जोडनेरूप जो गुणस्थानादिक बोस प्ररूपरणा, तिनिका पालाप, ताहि यथाक्रम कहाँगा, सो सुनह । जहां बीस प्ररूपणा प्ररूपिए, असे विवक्षित स्थाननि का कहना ताका नाम आलाप जानना ! सो कहैं हैं -
ओघे चोदसठाणे, सिद्धे वीसदिविहाणमालावा । वेदकसायविभिण्णे, अणियट्टीपंचभागे य ॥७०७॥
श्रोधे चतुर्दशस्थाने, सिद्ध विशतिविधानामालापाः ।
वेदकंधायविभिन्ने, अनिवृत्तिपंचभागे च ।।७०७॥ टोका - अोध जो गुणस्थान पर चौदह मार्गणास्थान ए परमागम विर्षे प्रसिद्ध हैं। सो इनिविर्षे गुरणजोबा पज्जत्ती इत्यादिक बीस प्ररूपणानि का सामान्य पर्याप्त, अपर्याप्त ए तीन आलाप हो है । बहुरि वेदःअर कषाय करि है भेद जिनि विर्षे असे अनिवृतिकरण के पंच भाग तिनिधिर्षे पालाप जुदे-जुदे जानने ।