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मध्यानाधिका भाषाटोका }
सोहम्मेसारणहारमसंखेरण य संखरूवसंगुणिदे । उवार असजद-भस्सथ-सासणसम्माण अवहारा ॥६३६॥
सौधर्मशानहारमसंख्येन च संख्यरूपसंगुरियते ।
उपरि असंयतमिश्रकसासनसमीचामवहाराः ॥६३६।। टोका - बहुरि ताके ऊपरि सनत्कुमार - माहेंद्र स्वर्ग है । तहां असंयत विर्षे सौधर्म - ईशान संबंधी सासादन का भागहार ते असंख्यात मुरणा भागहार जानना । इस असंयत का भागहार ते चकार करि असंख्यात गुणा मिथ विर्षे भागहार जानना। यात संख्यात गुणा सासादन विर्षे भागहार जानना।
अागें इस गुणने का अनुक्रम की व्याप्ति दिखावै हैं-- . . सोहम्मादासारं, जोइसि-वण-भवण-तिरिय-पुढवीसु। अविरद-मिस्सेऽसंखं, संखासंखगुण सासरणे देसे ॥६३७॥
सौधर्मादासहस्रारं, ज्योतिषिवनभवनतिर्यकपृथ्वीषु। .
अविरतमिश्रेऽसंख्य संख्यासंख्यगुणं सासने देशे ॥६३७॥ टोका - सौधर्म - ईशान के ऊपरि सानत्कृमार • माहेन्द्र तै लगाइ शतारसहस्रार पर्यंत पंच युगल पर ज्योतिषो पर व्यंतर पर भवनवासी अर तिर्यंच पर सात नरक की पृथ्वी इनि सोलह स्थान संबंधी अविरत विर्षे. अर मिश्र विषं असंख्यात गुणा अनुक्रम जानना । पर सासादन विर्षे संख्यात गुणा अनुक्रम जानना । पर तिर्यंच संबंधी देशसंयत विर्षे असंख्यात गुणा अनुक्रम जानना, सो इस कथन को दिखाइए हैं
सानत्कुमार - माहेंद्र विषं जो सासादन का भागहार कह्या, तीहिस्यों ब्रह्मब्रह्मोत्तर विर्षे असंयत का भागहार असंख्यात गुणा है । यातें मिश्र का भागहार असंख्यात गुणा है । याते सासादन का भागहार संख्यात गुणा है। संख्यात की सहनानी च्यारि ।४ का अंक है । बहुरि यात लांतर कापिष्ठ विर्षे असंयत का भागहार असंख्यात गुणा है । यात मिथ का भागहार असंख्यात गुणा है । यात सासादन का भाग
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१. पट्खण्डागम - धवला : पुस्तक ३, पृष्ठ संख्या २१२ से २८५ तक । २. षट्खपडागम - धवला : पुस्तक ३, पृष्ठ संख्या २८२ से २८५ तक ।