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[ होम्मटसार जीत्रकाण्ड सपा ६२५-६.२.६
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पल्य के असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं । इहां अन्य' गुणस्थान कथन की अपेक्षा पल्य को तीन बार प्रसंख्यात पर एक बार संख्यात का भाग जानना । बहुरि सासादन गुणस्थानवी जीय बावन कोडि मनुष्यनि करि अधिक इतर तीन गति के जीव देशसंयमी तिर्यचनि स्यों असंख्यात गुणे जानने । इहां पल्य को दोय बार असंख्यात पर एक बार संख्यात का भाग जानना । बहुरि मिश्र मुणस्थानवी जीव एक सौ च्यारि कोडि मनुष्यनि करि सहित इतर तीन गति के जीव सासादन वाली ते संख्यातगुणे जानने। इहां पल्य को दोय बार असंख्यात का भाम जानना । बहुरि अविरत गुणस्थानवर्ती जीव सावं 'सी कोडि मनुष्यनि करि सहित इतर तीन गति के जीव मिश्रवालों में प्रसंख्यात गुणे जानने । इहां पल्य को एक बार प्रसंख्यातं का भाग जानना ।
तिरधिय-सय-णय-णउदी, छण्णउदी अप्पमत्त हे कोडी। पंचवं य तेणउदी णव-ठ्ठ-बिसय-च्छउत्तर पमदेः ।।६२५॥
यधिकशतवनवतिः परावतिः अप्रमत्ते कोटी।
पंचव च विनवतिः, नवाष्टद्विशतषडुत्तरं प्रमो॥६२५॥ टोका - प्रमत्तगुणस्थान विर्षे जीव पांच कोडि तिराणवै लाख अठयाणवे हजार दोय से छह (५६३९८२०६) हैं । बहुरि अप्रमत्त गुणस्थान विर्षे जीव तीन अधिक एक सौ अर निन्यानव हजार अरै छिन लाखा पर दोय कोडी (२६६६६१.०३) इतने हैं। गाथा विर्षे पहिले अप्रमत्त की संख्या कही प्रमत्त की संख्या छंद मिलने के अर्थी कही है।
ति-सयं भणंति केई, चउरुत्तरमत्थपंचयं केई। उवसामग-परिमाणं, खवगाणं जारण तद्दुगुणरे ॥६२६॥
त्रिशतं भणंति केचित चतुरुतमस्तचक केचित् ।
उपशामकपरिमाण क्षपकारणों जानीहि तद्धिगुरगम् ।।६२६॥ । टीका - आठवे, नवै; दशवे, ग्यारवें 'गुणस्थान उपशम श्रेणीवाले जीवनि का प्रमाण केई प्राचार्य तीन से कह हैं । केई तीन से च्यारि कहैं है । केई पांच घाटि
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१. षटपण्डागम-पवला : पुस्तक-३, पृष्ठ १० गाथा सं.४१. " २.पटसण्ठागम-घवला: पूस्तक-३, पृष्ठ १४, गाथासं.४५