________________
Ran
MAANIND
[ गौमसार बीमकाय गाथा ५६५ तितने तितने पहिले पहिले समय ते अधिक समय समय तें मरे हैं । सो क्षीणकषाय मुरणस्थान का काल प्रावली का असंख्यातवां भाग प्रमाण अवशेष रहे तहां ताई इस ही अनुक्कम ते मर है। ताके अनन्तर समय विर्षे पल्य का असंख्यातवां भाग करि पहिले पहिले समय संबंधी जीवनि कौं गुरग, जितने होंहि तितने तितने मरै हैं । तहां पीछे संख्यात पल्य करि पूर्व पूर्व समय सम्बन्धी मरे जीवनि कौं गुण, जो जो प्रमाण होइ, तितने तितने मरे हैं। सो असे क्षीणकषाय गुणस्थान का अंत समय पर्यंत जानता । तहां अंत के समय विर्षे जे जुने जुदे असंख्यात लोक प्रसारण शरीरनि करि संयुक्त असे पावली का असंख्यातवा भाग प्रमाण पुलवी, तिनिविर्षे जे गुरिणतकांश जीव मरे; तिनकरि हीन अवशेष जे अनंतानन्त जीव शुणित कर्माश रहे । तिनिका बिनसोपचयसाहित औदारिक, तैजस, कारण तीन शरीरान के परमाणूनि का जो एक स्कंध,सोई जघन्य बादर निगोद वर्गणा है । बहुरि इस जघन्य को जगच्छे णी का असंख्यातवां भाग करि गुण, उत्कृष्ट बादर निगोद वर्गणा हो है । सो कैसे पाइए ? सो कहिए हैं' . स्वयंभूरमण नामा द्वीप विष जे मूला ने आदि देकरि सप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पती हैं. तिनके शरीरनि विर्षे एक बंधन विर्षे बंधे जगच्छणी का असंख्यातवां भागमात्र पुल बी हैं । तिनिः विष तिष्ठते जे गुरिणतकर्माश जीव अनंतानंत पाइये हैं । तिनिका विस्रसोपचयसहित औदारिक, तेजस, कारण तीन शरीरनि के परमाणूनि का एक स्कंध, सोई उत्कृष्ट बादर निगोद वर्गणा है । बहुरि ताके परि तृतीय शून्यवर्गणा है । तहां उत्कृष्ट बादरनिगोदवर्गणा ते एक प्रदेश अधिक भए, जघन्य भेद हो है। इस जघन्य कौं सूच्वंगुल का असंख्यातवां भाग करि गुरणे, उत्कृष्ट भेद हो है । बहुरि ताके अपरि सूक्ष्मनिगोद वर्गणा है, मो सूक्ष्मनिगोदिया जीवनि का बिनसोपचय सहित कर्म नोकर्म परमाणूनि का एक स्कंधरूप जानना । तहां उत्कृष्ट शून्यवर्गणात एक परमाणू अधिक भए' जघन्य भेद हों है। सो जघन्य भेद कैसे पाइए है ? सो कहिए हैं - . जल विषं या स्थल विर्षे वा आकाश विर्षे जहां तहां एक बंधन विषं बधे, असे जे प्रावली का असंन्यातवां भाग प्रमारण पुलवी, तिनिविर्षे क्षपितकर्माश अनंतानन्त सूक्ष्म निगोदिया जीव हैं । तिनिका विनसोपचय सहित औदारिक, तेजस, कार्माण तीन शरीरनि का परमाणूनि का जो एक स्कंध, सोई जघन्य सूक्ष्मनिगोद वर्गरणा है।
इहां प्रश्न - जो बादरनिगोद उत्कृष्ट वर्गणा विर्षे पुलबी श्रेणी के असंख्यातवे भाग प्रमाण कहे पर जघन्य सूक्ष्मनिगोद वर्गरणा विर्षे पुलवी प्रावली का असं
M