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सम्याहानवनिका भाषायीका 1 काय के जीव हैं, तहां असंख्यात श्रावली का वर्ग प्रमाण जीवनि के शरीरनि का एक स्कंध है। वहां गुणितकर्माश कहिए, जिनके कर्म का संचय बहुत हैं, असे जीव बहुत भी होंह तो पाबली का असंख्याता भागमात्र होइ, तिनिका विस्रसोपचय सहित औदारिक, तैजस, कारण इनि तीनि शरीरनि का जो एक स्कंध, सो उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा है । बहुरि ताके ऊपरि ध्रुव शून्य वर्गणा है। तहां उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा ते एक परमाणू अधिक भएं जघन्य भेद हो है । इस जघन्य कौं सब मिथ्यादृष्टी जीवनि का.जो प्रमाण, ताकी असंख्यात लोक का भाग दीएं, जो प्रमाण आय, तीहिं करि गुण, उत्कृष्ट भेद हो है। बहुरि ताके अपरि बादर निगोद वर्गणा है, सो बादर निगोदिया जीवनि का विनसोपचय सहित कर्म नोकर्म परिमाणूनि का जो एक स्कंध, ताकों बादर-निगोद वर्गरणा कहिए है । सो ध्रुवशून्य वर्गणा ते एक परमाणू अधिक जघन्य बादरनिगोदवर्गणा है । सो कहां पाइए है ? सो कहैं हैं
क्षय कीएं हैं कर्म अंश जानें, असा कोई क्षपितकर्माश जीव, सो कोडि पूर्व वर्ष प्रमाण आयु का धारी मनुष्य होइ, मर्भ ते अंतर्मुहूर्त अधिक आठ वर्ष के ऊपरि सम्यक्त्व पर संयम कौं युगपत अंगीकार करि, किळू घाटि कोडि पूर्ववर्ष पर्यंत कर्मवि की गुणश्रेणी निर्जराकौं करत संता जब अंतर्मुहर्त सिद्धपद पावने का रहा, तब क्षपक श्रेणी चढि उत्कृष्ट कर्मनिर्जरा कौं करत. संता क्षीणकषाय गुणस्थानवर्ती भया, तिसके शरीर विर्षे जघन्य वा उत्कृष्ट आवली का असंख्यातवां भाग प्रमाण पुलवी एक बंधनरूप बंधे पाइए हैं, जातें सर्व स्कंधनि विर्षे पुलवी असंख्यात लोक प्रमाण कहे हैं। बहुरि एक एक पुलवी विर्षे असंख्यात लोक प्रमारण शरीर पाइए हैं । बहुरि एक एक शरीर विर्षे सिद्धनि ते अनंतगुणे संसारी राशि के असंख्यात भागमात्र जीव पाइए है । सो प्रावली का असंख्यातवां भाग कौं असंख्यात लोक करि गुण, तहाँ शरीरनि का प्रमाण भया । ताकी एक शरीर विषै निगोद जीवनि का जो प्रमाण, ताकरि मुरणे, जो प्रमाण भया, तितना तहां एक स्कंध विर्ष बादर निगोद जीवनि का प्रमाण जानना । तिनि जीवनि के क्षीण कषाय गुणस्थान का पहिला समय विर्षे अनन्त जीव स्वयमेव अपना प्रायु का नाश से मरे है। बहुरि दूसरे समय जेते पहिले समय मरे, तिनिकी पावली का असंख्यातवां भाग का भाग-दीएं, जो प्रमाण पावै, तितमे पहिले समय मरे जीवनि से अधिक मरे हैं । इस ही अनुक्रम ते क्षीणकषाय का प्रथम समय से लगाइ, पृथक्त्व प्रावली का प्रमाण काल पर्यंत मरै हैं । पीछे पूर्ष पूर्व समय संबंधी मरे जीवनि के प्रमाण कौं प्रावली का संख्यातवां भाग का भाग दीएं, जो प्रमाण होइ